tag:blogger.com,1999:blog-30901371806557577962024-03-14T13:26:11.560+05:30जज़्बात جذبات Jazbaatजज़्बात का तूफान उठे जब कभी 'शाहिद'........ नग़मात. कोई गीत. कोई शेर बने हैं.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comBlogger77125tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-46447028606984240062021-09-17T11:33:00.003+05:302021-09-17T11:33:31.190+05:30रक्षाबंधन पर तीन मुक्तक रंग राखी का************कितना मज़बूत है विश्वास का धागा शाहिदसूत्र ये कितनी दुआओं से भरा होता हैक़िस्सा मेवाड़ की रानी का बताता है यहीरंग राखी का न भगवा न हरा होता है****************बहन के जज़्बात**************लड़कपन के कई प्यारे से क़िस्से छोड़ आई हूंलड़ाते थे जो भाई से, खिलोने छोड़ आई हूंनसीहत- सस्कारों के सिवा बाबुल के आंगन मेंकई अनमोल यादों के ख़ज़ाने छोड़ आई हूं*************भाई की भावना ******शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-40491501770013821482021-09-17T11:32:00.001+05:302021-09-17T11:32:12.867+05:30इक ग़ज़ल ****************************बदलती रुत से तुम्हें कुछ गिला नहीं है क्या।तुम्हारी अपनी कोई भी अना नहीं है क्या।।बुलंदियों के नशे में कोई न होश न खौफ़अमीरे-शहर का कोई ख़ुदा नहीं है क्या।।छिपा के करता है हर शख़्स ये सफ़र सबसेसफ़ीरे-इश्क़ को रहबर मिला नहीं है क्या।।मैं कर रहा हूं ठिकाने की जुस्तजू कब सेतुम्हारे दिल का कोई रास्ता नहीं है क्या।जहां दिमाग़ नहीं दिल की ही चले 'शाहिद'तुम्हें वो इश्क़ अभी तक शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-89618745538708882962021-09-17T11:17:00.001+05:302021-09-17T11:17:19.951+05:30धागों में धागे क़ताअम्न-अम्न कहकर जो सिर्फ़ लड़ाते हैं।आज खिलाड़ी सफल वही कहलाते हैं।।मज़हब और सियासत का है खेल यहीधागों में...धागे...उलझाए जाते हैं।।शाहिद मिर्ज़ा शाहिदशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-64332279568346516142021-09-17T11:07:00.003+05:302021-09-17T11:07:26.012+05:30जुदाई का यही लम्हा जुदाई का यही लम्हा ज़माने और भी देगा।ख़ुदा मिलने मिलाने के बहाने और भी देगा।।बिछड़ते वक़्त होटों पर अगर हैं दर्द के नग़मेबदलता वक़्त ख़ुशियों के तराने और भी देगा।।शाहिद मिर्ज़ा शाहिदशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-13677375068872072002021-09-17T11:05:00.000+05:302021-09-17T11:05:37.247+05:30तस्वीर पुरानी क्या देखी एक क़ता*********************आधी अधूरी एक कहानी क्या देखीतन्हा तन्हा गुज़री जवानी क्या देखीमुझको घेर के बैठ गईं तेरी यादेंअपनी इक तस्वीर पुरानी क्या देखीशाहिद मिर्ज़ा शाहिदशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-89139331237149020362021-09-17T11:03:00.003+05:302021-09-17T11:03:23.823+05:30एक मतला एक शेर अलग-अलग रंग में एक मतला-एक शेर**********************सियासी लोग लेते ही नहीं हैं काम पानी से।बुझाना चाहते हैं आग भी शोला बयानी से।।वो कुछ किरदार रुसवाई के भी लिक्खे गए वरनाजहां को काम ही क्या था तेरी-मेरी कहानी से।।शाहिद मिर्ज़ा शाहिदशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-61921412872093705892021-09-17T11:02:00.001+05:302021-09-17T11:02:22.465+05:30क़ताअनजान अजनबी कई अपनों में हैं शामिलख़ामोश बेज़ुबान से बुत देख रहा हूं।।सूरज ये इम्तिहान का चढ़ आया है जबसेरिश्तों की बदलती हुई रुत देख रहा हूं।।शाहिद मिर्ज़ा शाहिदशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-3305994113606308172021-09-17T11:00:00.004+05:302021-09-17T11:00:38.715+05:30रिश्ते श्रृंखला से 1 रिश्ते श्रृंखला से एक ताज़ा मुक्तक****************************रखा महरूम हक़ से और बताए फ़र्ज़ ही सबने,अमानत है यही कहकर हर इक घर में पली बेटी।विदा करके ये कहते हैं पराई हो गई लेकिनवो पहले से ज़ियादा और अपनी हो गई बेटी।।शाहिद मिर्ज़ा शाहिदशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-21340462019639201192021-09-17T10:58:00.005+05:302021-09-17T10:58:58.725+05:30अभी है अभी नहीं ये आन बान शान अभी है अभी नहीं तक़दीर मेहरबान अभी है अभी नहीं सारा वजूद संग के रहमो-करम पे हैशीशे के ये मकान अभी है अभी नहीं शाहिद मिर्ज़ा शाहिदशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-65576218392125690712017-07-02T23:48:00.003+05:302017-07-02T23:48:39.994+05:30
ब्लॉग दिवस!
चलिए एक शेर हाज़िर है-
जो दिल में है छुपाने का हुनर आने लगा शायद
हमें भी कुछ ज़माने का हुनर आने लगा शायद
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-21174208475137145712017-06-18T15:32:00.002+05:302017-06-18T15:32:35.272+05:30
Father's Day की मुबारकबाद
ये रचना पूरी पढ़ने की गुज़ारिश है।
*****************************
वो थोड़ा सख्त सा दिखता है जिसको बाप कहते हैं।
इसी पत्थर के सीने से कई झरने भी बहते हैं
।।
हो रुत कोई भी इस गुलशन में पतझड़ ही नहीं आता
थका हारा हो जितना भी उदासी घर नहीं लाता
मुक़द्दर से यूं दो-दो हाथ उसके होते रहते हैं
इसी पत्थर के सीने से.....
मुसीबत हार जाती है उस इक इंसान के आगे
चटानों सा अडिग रहता है हर शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-26833419155010504462016-05-05T21:17:00.000+05:302016-05-05T21:18:17.047+05:30पत्थर भी घायल निकलेगा
एक ग़ज़ल
********
हर मसअले का हल निकलेगा
आज नहीं तो कल निकलेगा
उसकी रज़ा शामिल हो जिसमें
उस ठोकर से जल निकलेगा
दुःख की गठरी खोल के देखो
कोई ख़ुशी का पल निकलेगा
दीवानों से पूछ के देखो
अहले-ख़िरद पागल निकलेगा
शीशे को तोड़ा है उसने
पत्थर भी घायल निकलेगा
तूने क्या सोचा था शाहिद
जल गई रस्सी बल निकलेगा
********************
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-66821996917995414402015-02-22T03:55:00.001+05:302015-02-22T03:55:39.165+05:30...अच्छा कहना भूल गया
हाज़िर है एक ग़ज़ल-
सारी वफ़ाएं सारी जफ़ाएं जाने क्या-क्या भूल गयातुम छेड़ो तो याद आ जाए मैं तो किस्सा भूल गया
साथी मुझको लेकर चलना फिर बचपन की गलियों मेंशायद ऐसा कुछ मिल जाए जिसको लाना भूल गया
हां मैं ऊंचा बोला था तस्लीम किया मैंने लेकिनमेरी बातें याद रहीं खुद अपना लहजा भूल गया
अपना हर सामान समेटा लेकिन जल्दी-जल्दी मेंमेरी आंखों में वो नादां अपना चेहरा भूल गया
तुम क्या रूठे लफ़्ज़ भी अब तो मुझसे रूठशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-85214987033639877692014-11-10T16:05:00.000+05:302014-11-10T16:05:49.049+05:30चुप रहा था मैं
कहीं सब कुछ न हो जाए उजागर चुप रहा था मैं
तुम्हारे दिल की चौखट तक भी आकर चुप रहा था मैं
अब ऊंचा बोलने का तुम मुझे इल्जाम मत देना
तुम्हारे नर्म लहजे तक बराबर चुप रहा था मैं।
मेरी सीधी सी बातों के कई मतलब न वो समझें
बहुत कुछ कहने की हसरत तो थी पर चुप रहा था मैं
ये आसां भी था मुमकिन भी मुनासिब भी जरूरी भी
बदलते देख तुमको, खुद बदलकर चुप रहा था मैं
सदा दिल की वो सुन लें बस इसी उम्मीद में शाहिद
शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-51741630004910407882014-10-02T17:36:00.000+05:302014-10-04T14:04:34.162+05:30
सम्मानित जनो,
आज ही दिन पांच साल पहले ब्लागिंग शुरू की थी। इन पांच सालों में कितना अंतर आ गया है। आज ब्लागिंग के बजाय फेसबुक की ओर लोगों का अधिक रुझान रहने लगा है।
खैर... आज गांधी जयंती पर एक पुराना कताअ पेश है-
अहिंसा के मसायल पर रजा अपनी भी रखते हैं।
कोई बुजदिल समझ बैठे दवा इसकी भी रखते हैं।
हमारे सब्र की इक हद है इसको पार मत करना
हैं गांधी भी, मगर हम हाथ में लाठी भी रखते हैं।
&शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-13701261451870842202014-04-07T18:31:00.001+05:302014-04-07T18:31:37.710+05:30तारे गिनता रहा आसमां देर तक
साहेबान बहुत दिनों बाद आज एक ग़ज़ल हाज़िर है
नज़रें करती रहीं कुछ बयां देर तकहम भी पढ़ते रहे सुर्खियां देर तकआओ उल्फ़त की ऐसी कहानी लिखेंज़िक्र करता रहे ये जहां देर तकबज़्म ने लब तो खुलने की मोहलत न दीएक खमोशी रही दरमियां देर तकमैं तो करके सवाल अपना खामोश था
तारे गिनता रहा आसमां देर तकदेखकर चाक दामन रफ़ूगर सभीबस उड़ाते रहे धज्जियां देर तककुछ तो तारीकियां ले गईं हौसलेकुछ डराती रहीं शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-19743115126004345692014-03-05T18:26:00.001+05:302014-03-05T18:26:57.828+05:30डाली मोगरे की - नीरज गोस्वामी
नीरज गोस्वामी
इस नाम से ब्लॉग जगत में भला कौन नावाकिफ़ हैं
किताबों की दुनिया के नाम से 2008 में शुरू किये गये सिलसिले के तहत आपने शेर-शायरी की अब तक 90 किताबों की समीक्षा इतनी खूबसूरती से की है, कि पढ़ने वाले के दिल में किताब लेने की ख्वाहिश जाग जाती है. शायरी के प्रति ऐसी दीवानगी रखने वाले नीरज गोस्वामी की खुद की शायरी आज
&शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-64846063179063196022012-11-02T10:16:00.000+05:302012-11-02T10:16:05.348+05:30करवा चौथ
हज़रात,
फ़िलहाल काफ़ी कुछ ऐसा है, जो नियमित रूप से नहीं चल रहा है... बहरहाल....
करवा चौथ के मौके पर कही गई एक नज़्म हाज़िर है...
उम्मीद है पसंद फ़रमाएंगे-नज़्ममेरे सपनों का जहां तुझमें बसा है प्रियतमतेरी खुशियां ही तो सिंगार मेरा है प्रियतमतुमको पाया तो लगा पाया ज़माना जैसेमेरे दामन में हो खुशियों का ख़ज़ाना जैसेअब्र उठता है मुहब्बत का तेरी आंखों सेऔर बारिश में नहा के मैं निखर जाती हूंतेरे चेहरे पे नज़र शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com19tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-44583425116537416802012-09-20T20:12:00.002+05:302012-09-20T20:12:18.691+05:30परी कथाएं भी अब तो ”परी कथाएं” हैं
हज़रात,
एक सादा सी ग़ज़ल हाज़िर है-
अजब वफ़ा के उसूलों से ये ”वफ़ाएं” हैंतेरी जफ़ाएं, ”अदाएं”, मेरी ”ख़ताएं” हैं महकती जाती ये जज़्बात से फ़िज़ाएं हैंकोई कहीं मेरे अश’आर गुनगुनाएं हैंवो दादी-नानी के किस्सों की गुम सदाएं हैंपरी कथाएं भी अब तो ”परी कथाएं” हैंज़ेहन में कैसा ये जंगल उगा लिया लोगोजिधर भी देखिए, बस हर तरफ़ अनाएं हैंबिगडते रिश्तों को तुम भी संभाल सकते थेमैं मानता हूं ...मेरी भी.....शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com12tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-65239614313397354742012-08-19T18:46:00.002+05:302012-08-20T17:53:54.763+05:30ईद का त्यौहार और भारतीय संस्कृति का संगम
सूखें न भाईचारे के गंगो-जमन कभी
अल्लाह मेरे मुल्क में अम्नो-अमां रहे
(ऊपर के लिंक पर भी क्लिक कीजिए)
सभी हज़रात को ईद मुबारक
ईद और हमारी संस्कृति
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
ईद,
ये लफ़्ज़ हर किसी के दिल में अपनेपन का अहसास पैदा कर देता है. हर दिल में खुशी की एक खास उमंग जाग जाती है. हो भी क्यों नहीं, ईद के मायने भी यही हैं न...खुशी.... जी हां, ईद खुशियों से भरी कुदरत की वो सौग़ात है, जिसे हर कोई महसूस शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com19tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-78910066156507659532012-08-02T00:02:00.001+05:302012-08-16T23:56:17.375+05:30रक्षा बंधन
हज़रात....
छह महीने का वक़्त गुज़र गया अपने ही ब्लॉग से दूर हुए...
वो जनाब बशीर बद्र साहब ने फ़रमाया है न
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी....
बहरहाल..आप सबसे दुआओं की गुज़ारिश है
आज रक्षा बंधन का पावन पर्व है...
इस बार ग़ज़ल से हटकर कुछ अलग लिखा है
ये रचना आज के दैनिक प्रभात में प्रकाशित हुई है
उम्मीद है आप हमेशा की तरह हौसला अफ़ज़ाई करेंगे
शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com14tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-91214545095245127682012-01-25T23:19:00.001+05:302012-01-26T10:50:21.409+05:30गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
एक क़ता हाज़िर है-
हक़ मिले सबको बराबर ऐसा संविधान हैएकता और अम्न ही अहले-वतन की शान है
राष्ट्रभक्ति इसलिए भी दौड़ती है खून में मुल्क से जज़्ब-ए-मुहब्बत, हिस्सा-ए-ईमान है
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com17tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-81382979765584795022011-12-05T00:02:00.001+05:302011-12-05T10:51:29.505+05:30मेरे साग़र में...
ग़ज़ल
ज़िन्दगी इतनी बरहमी मत रख
मेरे साग़र में तश्नगी मत रख
(बरहमी=नाराज़गी, सागर=पैमाना, तश्नगी=प्यास)
वो न बदले हैं और न बदलेंगे
कोई उम्मीद आज भी मत रख
कर अता ऐ नसीब फ़ुरसत भी
हर घड़ी इम्तहान की मत रख
दुनियादारी बहुत ज़रूरी है
इतनी लहजे में सादगी मत रख
इनको भी मुस्कुराने दे शाहिद
आंखें नम-नम, भरी-भरी मत रख
शाहिद शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com34tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-28822328005295448252011-11-05T00:06:00.000+05:302011-11-05T00:06:35.991+05:30जीवन कच्ची मिट्टी का
हज़रात,
इत्तेफ़ाफ़ है कि इससे पहले पोस्ट की गई ग़ज़ल गांव के सिलसिले से रही, और इसमें भी काफ़ी हद तक वही सब कुछ है...मुलाहिज़ा फ़रमाएं ग़ज़ल
बूंदें देखीं और खिल उठा जोबन कच्ची मिट्टी का
कितना गहरा रिश्ता है ये सावन-कच्ची मिट्टी का
शहर शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com42tag:blogger.com,1999:blog-3090137180655757796.post-21619734302923137962011-10-26T15:57:00.000+05:302011-10-26T15:57:41.228+05:30दीपावली पर एक दुआदीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
इस मुबारक मौके़ पर दुआ की शक़्ल में एक क़ता हाज़िर है-हो दीवाली में घर-गली रोशन
सांस महके, हो ज़िन्दगी रोशन
ऐसे दीपक जलाएं हम, जिनसे
दिल भी रोशन हो रूह भी रोशन
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''http://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com22