जज़्बात का तूफान उठे जब कभी 'शाहिद'........ नग़मात. कोई गीत. कोई शेर बने हैं.
एक क़ता
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आधी अधूरी एक कहानी क्या देखी
तन्हा तन्हा गुज़री जवानी क्या देखी
मुझको घेर के बैठ गईं तेरी यादें
अपनी इक तस्वीर पुरानी क्या देखी
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
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