जज़्बात का तूफान उठे जब कभी 'शाहिद'........ नग़मात. कोई गीत. कोई शेर बने हैं.
जुदाई का यही लम्हा ज़माने और भी देगा।
ख़ुदा मिलने मिलाने के बहाने और भी देगा।।
बिछड़ते वक़्त होटों पर अगर हैं दर्द के नग़मे
बदलता वक़्त ख़ुशियों के तराने और भी देगा।।
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
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