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Friday, February 14, 2025

प्यार की ख़ातिर

 एक ग़ज़ल

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क्या बनाया था ख़ुदा ने क्या हुए।

प्यार की ख़ातिर सभी पैदा हुए।।


ख़ूब क़िस्मत ने किया रद्दोबदल

हम कभी क़तरा कभी दरिया हुए।।


आप पर भी तो उठेंगी उंगलियां 

सोचिएगा हम अगर रुसवा हुए।।


बज़्म तन्हाई में यादों की सजी 

और कभी महफ़िल में हम तन्हा हुए।।


बज़्म की रौनक़ थे जो शाहिद कभी

आज वो गुमनाम सा चेहरा हुए।।


शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

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