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Saturday, October 3, 2009

ज़िन्दगी चिरागों की






खैर की दुआ मांगें हम सभी चिरागों की
दोस्ती हवाओं से हो गई चिरागों की


ये उरूज ऐसे ही इनको मिल नहीं जाता
गर्दिशों में कटती है ज़िन्दगी चिरागों की


जिस जगह अंधेरों का राज हो गया शाहिद
उस जगह तो सुनते हैं बज्म थी चिरागों की
शाहिद मिर्जा शाहिद


1 comment:

इस्मत ज़ैदी said...

behad achchhe asha'r sirf teen sher tashnagi chhod jate hain aur hote to thodi der aur ghazal ka sahar maujood rahta.mubarak ho