जज़्बात का तूफान उठे जब कभी 'शाहिद'........ नग़मात. कोई गीत. कोई शेर बने हैं.
काँच के बर्तन संभाल के रखने पड़ते हैं .वक्त कितना लगता है , टूटने में ? खुशियाँ भी इतनी ही नाज़ुक होती हैं .
सही कह रहे हैं खुशियों का जीवन कांच के बरतनों जितना ही होता है ।
किस्मत ने रखा है सजाकर ताक पे ऐसे खुशियों कोजैसे मां बच्चों से बचाकर कांच के बरतन रखती हैएक दम नया तरीक़ावाह-वाहबधाई
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काँच के बर्तन संभाल के रखने पड़ते हैं .वक्त कितना लगता है , टूटने में ? खुशियाँ भी इतनी ही नाज़ुक होती हैं .
सही कह रहे हैं खुशियों का जीवन कांच के बरतनों जितना ही होता है ।
किस्मत ने रखा है सजाकर ताक पे ऐसे खुशियों को
जैसे मां बच्चों से बचाकर कांच के बरतन रखती है
एक दम नया तरीक़ा
वाह-वाह
बधाई
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