हज़रात...
अयोध्या मामले के फ़ैसले पर पूरे मुल्क ही नहीं, बल्कि दुनिया भर की नज़रें टिकी हुई हैं
इसी सिलसिले में एक क़ताअ हाज़िर है-
आने वाली नस्ल कल इल्ज़ाम दे ऐसा न हो
मैं पशेमां क्यों रहूं, क्यों तू भी शर्मिंदा रहे
अम्न को पामाल करके कौन ख़ुश होगा भला
शान मज़हब की ये है इंसानियत ज़िन्दा रहे...
आईए हम सब संकल्प लें-
जिसको हम सबने लहू देके हैं सींचा शाहिद
कैसे गुलशन को भला आग लगाने देंगे.
फ़ैसला अहले-वतन का भी तो सुन ले दुनिया
अम्न की राह में कांटे न बिछाने देंगे.
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
28 comments:
जिसको हम सबने लहू देके हैं सींचा शाहिद
कैसे गुलशन को भला आग लगाने देंगे.
फ़ैसला अहले-वतन का भी तो सुन ले दुनिया
अम्न की राह में कांटे न बिछाने देंगे.
Aameen!! aapki dua qubool ho!
http://kavitasbyshama@gmail.com pe padhen "Kis nateeje pe pahunche?" Isi vishay ko leke.
राम और खुदा भी ऊपर से, ये देख हेरान हैं
हम बैठे एक साथ यहाँ,जमी वाले क्यों परेशां हैं
जिसको हम सबने लहू देके हैं सींचा शाहिद
कैसे गुलशन को भला आग लगाने देंगे.
फ़ैसला अहले-वतन का भी तो सुन ले दुनिया
अम्न की राह में कांटे न बिछाने देंग
kaash aesi hasrat har dilo pe pale .
hum to gandhi ji ke bhajan ki in panktiyon ke saath hai ----ishwar allah tero naam ,sabko sammati de bhagwaan .aman ka paigaam kan kan me barse .bahut khoobsurat hai .
दोनों क़त’आत बेहद उम्दा और आप की हुब्बुल्वतनी का सुबूत हैं
हम सब यही चाहते हैं कि इंसानियत ज़िंदा रहे और सभी से अम्न ओ अमान की इल्तेजा के साथ एक शेर अर्ज़ है कि
गर दे सको तो रौशनी दो ,ज़ुलमतें न दो
नक़्शे पे मेरा मुल्क हो शहकार की तरह (शेफ़ा)
अपनी इस यकजहती की फ़िक्र के लिये मुबारकबाद क़ुबूल करें
Sundar Panktiyaan!!
आने वाली नस्ल कल इल्ज़ाम दे ऐसा न हो
मैं पशेमां क्यों रहूं, क्यों तू भी शर्मिंदा रहे
अम्न को पामाल करके कौन ख़ुश होगा भला
शान मज़हब की ये है इंसानियत ज़िन्दा रहे...
हर एक शे र काबिले तारीफ है । आपकी सोच को सलाम करने को जी चाहता है। आज इसी पैगाम की जरूरत है। धन्यवाद और शुभकामनायें।
अरे वाह! बेहद खूबसूरत शाहिद भाई!
ज़रा यहाँ भी नज़र घुमाएं!
राष्ट्रमंडल खेल
कम लफ्जों में सटीक बात कही ।
इंसानियत ... अमन .... और मानवता का संदेश देती ... लाजवाब बात रक्खी है आपने .... मेरा सलाम है आपको ....
आने वाली नस्ल कल इल्ज़ाम दे ऐसा न हो
मैं पशेमां क्यों रहूं, क्यों तू भी शर्मिंदा रहे
अम्न को पामाल करके कौन ख़ुश होगा भला
शान मज़हब की ये है इंसानियत ज़िन्दा रहे...
कितना खूबसूरत संदेश है, हम सब के लिये. देश की शान्ति और सुकून के इस जज़्बे को सलाम.
बहुत ही बढ़िया मिसरे हैं जनाब!
आने वाली नस्ल कल इल्ज़ाम दे ऐसा न हो
मैं पशेमां क्यों रहूं, क्यों तू भी शर्मिंदा रहे
aadab !
ibatat hai chahe haath jodo yaa sajda karo
matlb ek hai fark soch ki kyun hai ''
aman kaayam rahe ye dua hai !
अम्न को पामाल करके कौन ख़ुश होगा भला
शान मज़हब की ये है इंसानियत ज़िन्दा रहे...
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! बड़े ही खूबसूरती से आपने प्रस्तुत किया है! उम्दा पोस्ट!
भाईजान शाहिद मिर्ज़ा शाहिद साहब
नमस्कार ! सलाम !
शान मज़हब की ये है इंसानियत ज़िन्दा रहे...
आपका संकल्प मेरा और हर सच्चे भारतीय का संकल्प है
जिसको हम सबने लहू देके हैं सींचा शाहिद
कैसे गुलशन को भला आग लगाने देंगे
फ़ैसला अहले-वतन का भी तो सुन ले दुनिया
अम्न की राह में कांटे न बिछाने देंगे
मेरे एक गीत की कुछ पंक्तियां आपको सादर समर्पित हैं …
हिंदू कहां जाएगा प्यारे ! कहां मुसलमां जाएगा ?
इस मिट्टी में जनमा जो , आख़िर वो यहीं समाएगा !
ये हिंदू है ! ये है मुस्लिम !
ऊपरवाला कब कहता ?
आदम की औलाद ! तू कब तक़्सीम से आजिज़ आएगा ?
ना बुतख़ाने राम क़ैद ,
ना क़ैद हरम में ख़ुदा कहीं !
पाकदिली से जहां पुकारो …वहीं सांई मिल जाएगा !
आपकी भावनाओं , आपके शब्दों के लिए मुबारकबाद , धन्यवाद , आभार जैसे तमाम शब्द अपर्याप्त हैं …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आपकी नेक और पाकीज़ा दुआएं
देश के हर कोने तक पहुंचें
और
आपकी दुआओं में असर आये
यही दुआ करता हूँ . . .
आपकी इस पावन सोच को नमन कहता हूँ
बहुत खूबसूरत सोच ....आमीन
आमीन !
बहुत खूब शाहिद जी............काश सभी के दिल में ये ज़ज्बा आ जाये.............
भाई जान आपके ज़ज़बे को सलाम...हम एक हैं और एक रहेंगे...आमीन.
हम सब मिलकर इस जज़्बे को कायम रखें ।
Wah Shahid sahab, har Bharteey ke dil kee awaj hai yah. Hum ek hain hum ek hain.
बस ऐसे ही ज़ज्बे की ज़रुरत है ,
इंसानियत जिंदाबाद...........
बहुत ही ख़ूबसूरत अश'आर ! दिल की गहराइयों तक डूबे ज़ज्बातों से निकली दुवा कभी खाली नहीं जाती. जैसा आपने लिखा, ऐसा ही होगा..यही दुवायें हैं.
अम्न को पामाल करके कौन ख़ुश होगा भला
शान मज़हब की ये है इंसानियत ज़िन्दा रहे.
रहेगी..जरूर जिंदा रहेगी..!
अब तो चाहे मर कर ही जुदा हो तो हों..जीते जी हमे कोई जुडा नहीं कर पायेगे...आमीन ! हम सब एक थे, एक हैं और ताक़यामत एक ही रहेगे...इंशाअल्लाह ! दिल सेसलाम क़ुबूल कीजियेगा इन अश'आरों के लिए ! शुक्रिया !
बेहद उम्दा...
जिसको हम सबने लहू देके हैं सींचा शाहिद
कैसे गुलशन को भला आग लगाने देंगे.
फ़ैसला अहले-वतन का भी तो सुन ले दुनिया
अम्न की राह में कांटे न बिछाने देंगे.
dua kubul hui....dono pakshon ke chehre par muskan daudi hai .......
नफरतों के लिए जो अपने दरवाजे सडा खुले रखते हैं .. उनके लिए आपका पैगाम उम्दा है ... शुक्रिया.,..
बहुत अच्छी लगी आपकी बातें और लो सुन भी ली गयीं
फ़ैसला अहले-वतन का भी तो सुन ले दुनिया
अम्न की राह में कांटे न बिछाने देंगे.
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