सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
दीपोत्सव के पावन अवसर पर पेश हैं कुछ मुक्तकमर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम
छोड़कर चल दिए रस्ते सभी फूलों वाले
चुन लिए अपने लिए पथ भी बबूलों वाले
उनके किरदार की अज़मत है निराली शाहिद
दोस्त तो दोस्त, हैं दुश्मन भी उसूलों वाले
परतवे-अर्श (आकाश का प्रतिबिंब)
जगमगाते हुए दीपों के इशारे देखो
आज हर सिम्त नज़र डालो, नज़ारे देखो
परतवे-अर्श का मख़सूस ये मंज़र शाहिद
जैसे उतरे हों फ़लक़ से ये सितारे देखो
रोशनी और खुशबू
दीपमाला में मुसर्रत की खनक शामिल है
दीप की लौ में खिले गुल की चमक शामिल है
जश्न में डूबी बहारों का ये तोहफ़ा शाहिद
जगमगाहट में भी फूलों की महक शामिल है
क़ुदरत का पैग़ाम
हमको कुदरत भी ये पैग़ाम दिए जाती है
जश्न मिल-जुल के मनाने का सबक लाती है
अब तो त्यौहार भी तन्हा नहीं आते शाहिद
साथ दीवाली भी अब ईद लिए आती है
शुभ दीपावली
आओ अंधकार मिटाने का हुनर सीखें हम
कि वजूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम
रोशनी और बढ़े, और उजाला फैले
दीप से दीप जलाने का हुनर सीखें हम.
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
46 comments:
चुन लिए अपने लिए पथ भी बबूलों वाले
उनके किरदार की अज़मत है निराली शाहिद
दोस्त तो दोस्त, हैं दुश्मन भी उसूलों वाले
क्या बात है !बहुत ख़ूब!
श्री राम की अज़मत को इस से पहले शायद इस तरह कभी बयान नहीं किया गया
शुभ दीपावली
आओ अंधकार मिटाने का हुनर सीखें हम
कि वजूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम
रोशनी और बढ़े, और उजाला फैले
दीप से दीप जलाने का हुनर सीखें हम
वाह!जिस दिन हमें ये हुनर आ जाएगा हम मानवता के लिये मिसाल बन सकेंगे
बहुत उम्दा! मुबारक हो
आओ अंधकार मिटाने का हुनर सीखें हम
कि वजूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम
रोशनी और बढ़े, और उजाला फैले
दीप से दीप जलाने का हुनर सीखें हम.
क्या बात है शाहिद जी!! असल में दिये के इन गुणों को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करें तो किसी भी मुश्किल का आसानी से सामना कर पायेंगे हम. और दीप से दीप जलाने का हुनर.... वाह. बहुत सुन्दर.
दीपावली की शुभकामनायें.
छोड़कर चल दिए रस्ते सभी फूलों वाले
चुन लिए अपने लिए पथ भी बबूलों वाले
उनके किरदार की अज़मत है निराली शाहिद
दोस्त तो दोस्त, हैं दुश्मन भी उसूलों वाले
मर्यादा पुरुषोत्तम के चरित्र की विशेषता को न सिर्फ बहुत खूबसूरती से बताया आपने बहुत सार्थक सन्देश भी निहित है इन पंक्तियों में ...
कुदरत का यह सुन्दर पैगाम जो आपने याद दिलाया है हर दिल की गहराई तक समाए यही दुआ है ..
आओ अंधकार मिटाने का हुनर सीखें हम
कि वजूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम
रोशनी और बढ़े, और उजाला फैले
दीप से दीप जलाने का हुनर सीखें हम.
बहुत ही प्रेरणादायी सकारात्मक आलोक से दीप्त पंक्तियाँ ...आभार !
आपको सपरिवार प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
बहुत सुन्दर! बेहतरीन!
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामना!
लाजवाब मुक्तक .
'दीपमाला में मुसर्रत की खनक शामिल है
दीप की लौ में खिले गुल की चमक शामिल है
जश्न में डूबी बहारों का ये तोहफ़ा शाहिद
जगमगाहट में भी फूलों की महक शामिल है'
खास लगा..
आप को भी दीपावली की शुभकामनायें.
बहुत बढ़िया साहब...
हमको कुदरत भी ये पैग़ाम दिए जाती है
जश्न मिल-जुल के मनाने का सबक लाती है
अब तो त्यौहार भी तन्हा नहीं आते शाहिद
साथ दीवाली भी अब ईद लिए आती है
क्या बात है .बेहतरीन ख़याल
आपको सपरिवार दिवाली कि हार्दिक शुभकामनायें.
प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।
आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।
--
आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
क्या बात है !बहुत ख़ूब!
आपको और आपके परिवार को दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ! !
आओ अंधकार मिटाने का हुनर सीखें हम
कि वजूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम
.....
आपको भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
शाहिद मेरे भाई,
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
बेहद खूबसूरत.....
सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
मोती सा त्यौहार दिवाली
ज्योंति का त्यौहार दिवाली
दीप जलें ,जगमग जगमग
रोशन हर घर में खुशहाली
यही कामना सच हों सपने
रहे न कोई पुलाव ख्याली
चकाचौंध में, भूल न जाना
रातें कुछ हैं, अब भी काली
0 राजेश उत्साही
वाह। वाह और बस वाह। कमाल के मुक्तक कहे आपने। आनंद आ गया।
परवरदिगार ये नेक खयालात और गंगा जमुनी संस्कृति बनाये रखे। आमीन।
दीपोत्सव पर आपको व आपके परिवार को हार्दिक बधाई।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..हर मुक्तक सन्देश देता हुआ ...
दीपावली की शुभकामनायें
शाहिद जी आपके किरदार की भी क्या तारीफ करें तारीफ के लिये शब्द ही नही मिलते। हर शेर दीपावली के अवसर को खूब सूरत बना रहा है।
चुन लिये अपने लिये---
आओ अन्धकार मिताने का----
अब तो त्यौहार भी----
वाह क्या शेर हैं मन आनन्द से भर गया। बहुत बहुत बधाई। गज़ल मे सुन्दर सन्देश समय की माँग भी है।
आपको व आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
बहुत बढ़िया ! यूं ही शम्मा जलाये रखिये !
आओ अंधकार मिटाने का हुनर सीखें हम
कि वजूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम
रोशनी और बढ़े, और उजाला फैले
दीप से दीप जलाने का हुनर सीखें हम...
दीपावली के इस मुबारक मौके पर इससे बढ़ कर दुआ और क्या हो सकती है .....
शाहिद भाई दिल लूट लिया हर मुक्तक नें .... दिल से सीधे दिल तक जाते हैं .....
आपको और आपके समस्त परिवार को दीपावली की मंगल कामनाएं ...
सुन्दर रचना ...आपको और आपके परिवार को दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
छोड़कर चल दिए रस्ते सभी फूलों वाले
चुन लिए अपने लिए पथ भी बबूलों वाले
उनके किरदार की अज़मत है निराली शाहिद
दोस्त तो दोस्त, हैं दुश्मन भी उसूलों वाले
ये पंक्तियाँ बहुत भाईं ......
पैर की बिवाई रोती हो बेशक
हमारे दिल में हैं मौसम फूलों वाले ...
दीपावली की बहुत बहुत बधाई ..
आओ अंधकार मिटाने का हुनर सीखें हम
कि वजूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम
रोशनी और बढ़े, और उजाला फैले
दीप से दीप जलाने का हुनर सीखें हम.
wah bahut sundar......happy diwali
हमको कुदरत भी ये पैग़ाम दिए जाती है
जश्न मिल-जुल के मनाने का सबक लाती है
अब तो त्यौहार भी तन्हा नहीं आते शाहिद
साथ दीवाली भी अब ईद लिए आती है
शाहिद जी , आपकी तो हर रचना जीवन को अर्थ दे जाती है ....
दुआ है ये त्यौहार हम यूँ ही मिल जुल मनाते रहे ....
कभी ईद,कभी दिवाली,कभी हो होली
दिलों को जोड़ दे जो ,ऐसी हो रंगोली .......
लाजवाब कर दिया आपने...मन गदगद हो गया..आज देश को आप जैसी सोच वालों की ही जरूरत है...कमाल की रचनाएं...वाह...
नीरज
हमको कुदरत भी ये पैग़ाम दिए जाती है
जश्न मिल-जुल के मनाने का सबक लाती है
अब तो त्यौहार भी तन्हा नहीं आते शाहिद
साथ दीवाली भी अब ईद लिए आती है
शुभ दीपावली
आओ अंधकार मिटाने का हुनर सीखें हम
कि वजूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम
रोशनी और बढ़े, और उजाला फैले
दीप से दीप जलाने का हुनर सीखें हम.
sabhi khas sabhi laazwaab ,aur har ek me sundar sandesh ,aapko in parvo ki dhero badhaiyaan .
आपको और सबको दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
सारी रचनाएँ बेहतरीन है !
Shahid sahab bahut kamal ke muktak hain.
जगमगाते हुए दीपों के इशारे देखो
आज हर सिम्त नज़र डालो, नज़ारे देखो
परतवे-अर्श का मख़सूस ये मंज़र शाहिद
जैसे उतरे हों फ़लक़ से ये सितारे देखो
Aur
आओ अंधकार मिटाने का हुनर सीखें हम
कि वजूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम
रोशनी और बढ़े, और उजाला फैले
दीप से दीप जलाने का हुनर सीखें हम.
Sunder sandesh .
Maryada purushottam kee shan me likha muktak to aur bhee jabardast hai. Shubh aur samruddhi laye Diwali aapke liye bhee.
रोशनी और बढ़े, और उजाला फैले
दीप से दीप जलाने का हुनर सीखें हम।
...बेहतरीन रचना।
दीपावली की शुभकामनाएं।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
हर शब्द अक्षम ही लगा आपकी इस स्तुत्य मुक्तिकाओं के आगे. अप्रतिम दीपमाला से सजा जज़्बात का आँगन वाकई जन्नत का नजारा दे रहा है. आपके मनोभावों के आगे नतमस्तक हैं हम सभी ! हार्दिक आभार! आपको और आपको सम्पूर्ण परिवार को हमारे पूरे परिवार की तरफ से हार्दिक शुभकामनाएँ ! एक बार पुनः शुक्रिया मिर्ज़ा साहब !
हमको कुदरत भी ये पैग़ाम दिए जाती है
जश्न मिल-जुल के मनाने का सबक लाती है
अब तो त्यौहार भी तन्हा नहीं आते शाहिद
साथ दीवाली भी अब ईद लिए आती है
इस दीपावली पर इस नायाब तोहफे के लिए बहुत बहुत शुक्रिया और बधाई
आदरणीय भाईजान शाहिद मिर्ज़ा शाहिद जी
नमस्कार !
अच्छे मुक्तकों के लिए बधाई !
छोड़कर चल दिए रस्ते सभी फूलों वाले
चुन लिए अपने लिए पथ भी बबूलों वाले
वाह ! क्या कहने !
आओ अंधकार मिटाने का हुनर सीखें हम
कि वजूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम
रोशनी और बढ़े, और उजाला फैले
दीप से दीप जलाने का हुनर सीखें हम.
क्या बात है हुज़ूर ! हमेशा की तरह छाये हुए हैं !!
आपको और परिवारजनों को दीवाली की हार्दिक मंग़लकामनाएं !
सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान !
लक्ष्मी बरसाए कृपा , बढ़े आपका मान !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शाहिद भाई,
बेहतरीन मुक्तक... क़ाबिले-तारीफ़ बह्र की प्रवहमानता... एक-एक मिसरा जैसे मोती जड़ दिये गये हों बेहद करीने-से...कहीं कोई झोल नहीं...नवोदित कवि बहुत कुछ सीख सकते हैं आपके सृजन का अवगाहन-अनुशीलन करके! अब इससे ज़ियादः क्या कहूँ, भाई!?
एक अनुरोध:
मेरे संपादन में प्रकाशनार्थ प्रस्तावित एक मुक्तक-संग्रह ‘त्योहारों के रंग, कविता के संग’(जिसे एक प्रतिष्ठित प्रकाशक छापेंगे) के लिए आपके ये मुक्तक साथ में कुछ अन्य त्योहारी मुक्तक (जैसे- नव वर्ष, ईद, होली, दशहरा, रक्षाबंधन, गणेशोत्सव, आदि) सादर आमंत्रित हैं।
एक पृष्ठ पर केवल एक ही त्योहार से जुड़े मुक्तक लिखें। यानी- नया पर्व, नया पेज ताकि सामग्री समुचित रूप से सहेजी जा सके।
रचनाएँ डाक द्वारा भेजें। पता व मोबा. नं. के साथ अन्य जानकारी इस लिंक पर उपलब्ध है--
http://jitendrajauhar.blogspot.com/2010_09_01_archive.html
दीवाली पर आपके 5 बेहतरीन मुक्तक पढ़े.
आपकी क़लम और कलाम का जवाब नहीं.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
हमको कुदरत भी ये पैग़ाम दिए जाती है
जश्न मिल-जुल के मनाने का सबक लाती है
अब तो त्यौहार भी तन्हा नहीं आते शाहिद
साथ दीवाली भी अब ईद लिए आती है
दीपावली के शुभ अवसर पर ऐसा नायाब तोहफा दे दिया आपने
हम सब की जानिब से आपका बहुत बहुत शुक्रिया
एक-एक लफ्ज़ आपकी उज्वल सोच को दर्शा रहा है
मुबारकबाद .
bhai saab pranam !
bahut sunder abhivyakti hai umda sher hai , mazza aaya . badhai .
saadar
बहुत खूब.....झिलमिल दीयों की तरह सारे मुक्तक जगमगा रहे हैं.....
बहुत अच्छी शायरी...देर से पढ़ने का अफसोस है.
हर नज़्म बहुत ही खूबसूरत..
बहुत सुंदर।
---------
मिलिए तंत्र मंत्र वाले गुरूजी से।
भेदभाव करते हैं वे ही जिनकी पूजा कम है।
आओ अंधकार मिटाने का हुनर सीखें हम
कि वजूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम
रोशनी और बढ़े, और उजाला फैले
दीप से दीप जलाने का हुनर सीखें हम.
जगमगाते हुए दीपों के इशारे देखो
आज हर सिम्त नज़र डालो, नज़ारे देखो
परतवे-अर्श का मख़सूस ये मंज़र शाहिद
जैसे उतरे हों फ़लक़ से ये सितारे देखो
छोड़कर चल दिए रस्ते सभी फूलों वाले
चुन लिए अपने लिए पथ भी बबूलों वाले
उनके किरदार की अज़मत है निराली शाहिद
दोस्त तो दोस्त, हैं दुश्मन भी उसूलों वाले
आदाब! आदाब!1आदाब!!!
वाह जनाब !!
लाजवाब !!!!!!
लगता है अब ईद पर नई पोस्ट लगेगी .....
चलिए इन्तजार है ....!!
आपको ईद की अग्रिम बधाईयाँ ....!!
कितनी बार नई गज़ल के इन्तजार मे यहाँ आ चुकी हूँ--- जल्दी पोस्ट कीजिये।
सोचा था कि कुछ नया होगा यहाँ,पर ये क्या...?
लगता है ‘उधर’ बिज़ी हो गये क्या...? जल्दी वापस आइए...हुज़ूर!
एक से बढकर एक शेर
वाह वाह
बकरीद की मुबारकबाद कुबुल करें
शाहिद भाई,
बक़रीद के मुक़द्दस मौक़े पर आपको और आपके पूरे परिवार को हमारी तरफ से दिली मुबारकबाद.
कुँवर कुसुमेश
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