गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
हाज़िर है, एक ग़ज़ल
जश्ने-जम्हूरी हमें यूं भी मनाना चाहिये
क़ौमी यकजहती का इक सूरज उगाना चाहिये
क़ौमी यकजहती का इक सूरज उगाना चाहिये
दर्द तेरे ज़ख्म का उभरे मेरे दिल में अगर
आंख में तेरी, मेरा आंसू भी आना चाहिये
आंख में तेरी, मेरा आंसू भी आना चाहिये
वो जो कल बिस्मिल भगत अशफाक़ के सीनों में था
नौजवानों में वही जज़्बा पुराना चाहिये
नौजवानों में वही जज़्बा पुराना चाहिये
फिर यहां टैगोर का गूंजे फिज़ां में राष्ट्रगान
फिर यहां इक़बाल का क़ौमी तराना चाहिये
फिर यहां इक़बाल का क़ौमी तराना चाहिये
साज़िशों से जो झुकाना चाहते हैं, अब उन्हें
और ऊंचा ये तिरंगा कर दिखाना चाहिये
और ऊंचा ये तिरंगा कर दिखाना चाहिये
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
35 comments:
आदरणीय भईजान शाहिद मिर्ज़ा जी
सादर अभिवादन !
क्या शानदार ग़ज़ल दी है जनाब ! शुक्रिया और मुबारकबाद !
वो जो कल बिस्मिल भगत अशफाक़ के सीनों में था
नौजवानों में वही जज़्बा पुराना चाहिये
साज़िशों से जो झुकाना चाहते हैं, अब उन्हें
और ऊंचा ये तिरंगा कर दिखाना चाहिये
जी कर रहा है पूरी ग़ज़ल कोट करदूं …
बेहतरीन जज़्बात !
बेहतरीन अल्फ़ाज़ !
वाह वाऽऽह व्वाऽऽऽऽह !!
आपको भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
दर्द तेरे ज़ख्म का उभरे मेरे दिल में अगर
आंख में तेरी, मेरा आंसू भी आना चाहिये
वो जो कल बिस्मिल भगत अशफाक़ के सीनों में था
नौजवानों में वही जज़्बा पुराना चाहिये
फिर यहां टैगोर का गूंजे फिज़ां में राष्ट्रगान
फिर यहां इक़बाल का क़ौमी तराना चाहिये
सुबहान अल्लाह !
बहुत ख़ूब !
ऐसा जज़्ब ए हुब्बुलवतनी अगर उन में हो जो रहबरान ए क़ौम हैं तो कोई परेशानी ही बाक़ी न रहे
आप के इस जज़्बे को सलाम
मुबारक हो गणतंत्र दिवस और उस मौक़े पर कही गई बेहतरीन ग़ज़ल
दर्द तेरे ज़ख्म का उभरे मेरे दिल में अगर
आंख में तेरी, मेरा आंसू भी आना चाहिये
शाहिद भाई इन्सानियत और दोस्ती का यही तकाज़ा है।
वो जो कल बिस्मिल भगत अशफाक़ के सीनों में था
नौजवानों में वही जज़्बा पुराना चाहिये
सही बात है आज के युवाओं मे राष्ट्र प्रेम जगाने के एलिये बेहतरीन शेर। पूरी गज़ल बेहद पसंद आयी।
आपको गनतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.....
---------
हिन्दी के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले ब्लॉग।
आदरणीय मिर्ज़ा साहब,
आज की ये ग़ज़ल बेमिसाल है. सीधे दिल में उतरती है हम वतनो से जोडती है.
बधाई आपको! जय हिंद!!
जश्ने-जम्हूरी हमें यूं भी मनाना चाहिये
क़ौमी यकजहती का इक सूरज उगाना चाहिये
बहुत ख़ूब...
आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं...
गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ....
साज़िशों से जो झुकाना चाहते हैं, अब उन्हें
और ऊंचा ये तिरंगा कर दिखाना चाहिये
बहुत प्यारा शेर.
गणतंत्र दिवस की आपको भी हार्दिक शुभकामनायें..
वाह शादिह साहब वाह
क्या खूब गजल कही है दिल से वाह वाह निकल रही है
मुबारकबाद कबूल फरमाये
गणतंत्र दिवस की आपको भी हार्दिक शुभकामनायें..
वो जो कल बिस्मिल भगत अशफाक़ के सीनों में था
नौजवानों में वही जज़्बा पुराना चाहिये
बहुत खूबसूरत और प्रेरणादायक गज़ल
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
कितने खूबसूरत भाव हैं गज़ल के..बहुत बहुत सुन्दर.
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाये.
दर्द तेरे ज़ख्म का उभरे मेरे दिल में अगर
आंख में तेरी, मेरा आंसू भी आना चाहिये
wah
साज़िशों से जो झुकाना चाहते हैं, अब उन्हें
और ऊंचा ये तिरंगा कर दिखाना चाहिये
Yahee jazbaa bana rahe!
Gantantr diwas bahut,bahut mubarak ho!
गणतंत्र दिवस की आपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ..! नमन ! बेहद ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए आभार ! एक निवेदन, कृपया कुछ उर्दू शब्दों का अर्थ भी साथ दे दें तो और भी आनंद आए. साधुवाद मिर्ज़ा साहब !
वो जो कल बिस्मिल भगत अशफाक़ के सीनों में था
नौजवानों में वही जज़्बा पुराना चाहिये
देश प्रेम के पावन सन्देश को
हर दिल पहुंचा पाने में कामयाब
एक शानदार और यादगार प्रस्तुति ...
इक इक लफ्ज़, पढने वालों को ,
मानो अपनी ही कही हुई baat लग rahaa है
zindaabaad !!
वाह वाह! क्या ग़ज़ल कही है 'शाहिद' जी
कोई एक शेर quote नहीं करूंगा नहीं तो बाकियों के साथ नाइंसाफी होगी...........सारे शेर दिल को छू गए.
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
साज़िशों से जो झुकाना चाहते हैं, अब उन्हें
और ऊंचा ये तिरंगा कर दिखाना चाहिये
बहुत खूब शाहिद जी. यही जज़्बा हर दिल में होना चाहिए. शुभकामनाएं.
साज़िशों से जो झुकाना चाहते हैं, अब उन्हें
और ऊंचा ये तिरंगा कर दिखाना चाहिये
वाह...लाजवाब शेर और बेहतरीन ग़ज़ल...गणतंत्र दिवस पर इस से बेहतर बात और क्या हो सकती थी...एक एक शेर गहरी तालीम दे रहा है और देश प्रेम के जज्बे को जगा रहा है...आप और आपकी कलम को सलाम ..
नीरज
ye to ik yaadgaar geet ban jaayega ...
jazbaa jab tak n ho wahi purana
dhadkane sunayi nahin dengi ...
shubhkamnayen
दर्द तेरे ज़ख्म का उभरे मेरे दिल में अगर
आंख में तेरी, मेरा आंसू भी आना चाहिये
बस यही अहसास हर दिल में हो...यही आरज़ू है.
बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल ...हर शेर लाज़बाब है
साज़िशों से जो झुकाना चाहते हैं, अब उन्हें
और ऊंचा ये तिरंगा कर दिखाना चाहिये
वाह!!
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई !
आपके ज़ज्बातों को सलाम...
पूरी की पूरी ग़ज़ल ही लाजवाब है...
कहाँ तक तारीफ की जाये....
माशाल्लाह !!!!
आपके ज़ज्बे को सलाम शाहिद साहिब,
बड़ी खूबसूरत ग़ज़ल,ख़ुलूस और अकीदत के साथ कही है आपने .
साज़िशों से जो झुकाना चाहते हैं, अब उन्हें
और ऊंचा ये तिरंगा कर दिखाना चाहिये.
बधाई आपको !
वो जो कल बिस्मिल भगत अशफाक़ के सीनों में था
नौजवानों में वही जज़्बा पुराना चाहिये....
क्या खूब लिखा आपने ।
काश, आज के नौजवानो में ये जज़्बात हो, तो देश का हाल बेहतर हो ।
शाहिद जी ! आपकी ग़ज़ल लाज़वाब लगी .....
आपके खूबसूरत जज्बे को सलाम ...
आपकी ग़ज़ल के जज्बातों में डूबे मेरे दो शब्द
इस जमीं को खून से सींचा चली सोंधी महक,
फिर वही कुर्बानियों का दिन पुराना चाहिए |
अज्म जो हरगिज़ न बदले पत्थरों की चोट से,
बच्चे - बच्चे में मुझे ऐसा दीवाना चाहिए |
दर्द तेरे ज़ख्म का उभरे मेरे दिल में अगर
आंख में तेरी, मेरा आंसू भी आना चाहिये
वाह!!
साज़िशों से जो झुकाना चाहते हैं, अब उन्हें
और ऊंचा ये तिरंगा कर दिखाना चाहिये
बहुत खूब ...बस यही भाव हर हिन्दुस्तानी के दिल में रहे तो यह चमन सदा सदा महकता ही रहेगा .
बहुत बहुत शुभकामनाएँ!!
साज़िशों से जो झुकाना चाहते हैं, अब उन्हें
और ऊंचा ये तिरंगा कर दिखाना चाहिये
kitne umda khyal hai ,raushan rahe jahan aese hi ,gantantra divas ki badhai aapko .
नमस्कार !
दर्द तेरे ज़ख्म का उभरे मेरे दिल में अगर
आंख में तेरी, मेरा आंसू भी आना चाहिये
वाह!!
साज़िशों से जो झुकाना चाहते हैं, अब उन्हें
और ऊंचा ये तिरंगा कर दिखाना चाहिये
बहुत खूब .बस यही भाव हर हिन्दुस्तानी के दिल में रहे तो यह चमन सदा सदा महकता ही रहेगा .
बहुत बहुत शुभकामनाएँ!!
साज़िशों से जो झुकाना चाहते हैं, अब उन्हें,
और ऊंचा ये तिरंगा कर दिखाना चाहिये।
देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण एक श्रेष्ठ रचना।
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं।
साज़िशों से जो झुकाना चाहते हैं, अब उन्हें
और ऊंचा ये तिरंगा कर दिखाना चाहिये
झंडा ऊँचा रहे हमारा ...
शाहिद साहब .... बहुत लाजवाब ग़ज़ल है ... गणतंत्र दिवस पर इससे बेहतर और क्या हो सकता है ...
अगर सब मिल जाएँ तो ये तिरंगा आसमान को छू सकता है ...
Der se aane ke liye mazrat chahunga,
gazal ke bhawo ne bhajuwo ko fadfada diya.
badhai swikare.
शाहिद साहब लफ्ज़ नही हैं तारीफ के लिये । दुआ करती हूँ कि यही जज्ब़ा हम सब के दिलों में हो खासकर नौ-जवानों में । सारे के सारे शेर हीरे हैं किसे उद्धरित करूं किसे न करूं ।
फिर यहां टैगोर का गूंजे फिज़ां में राष्ट्रगान
फिर यहां इक़बाल का क़ौमी तराना चाहिये
देश को ऐसा समझने समझाने वाले कलमकारों फनकारों की जरुरत है |
वाह.. वाह.. क्या खूब लिखी है आपने ! आपको सलाम, आपके हुनर को सलाम और सबसे बड़े आपके जज्बे को सलाम ! अपने जज्बे को बनाये रखिये ताकि हम जैसे नौजवानों को आपसे प्रेरणा मिल सके..
Post a Comment