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Sunday, March 27, 2011

आज भी





हज़रात, आदाब

 
इन दिनों मसरुफ़ियात कुछ ज़्यादा रही हैं...

कोशिश है कि पहले की तरह वक़्त निकाला जाए...

आप भी दुआ कीजिएगा.
  
एक ग़ज़ल हाज़िर है

रंज-ओ-ग़म के दरमियां है शादमानी आज भी
कर रही है मुझ पे किस्मत मेहरबानी आज भी
 

और तो फुर्सत किसे है, अपनी बरबादी का हाल
सुन लिया करते हैं ख़ुद अपनी ज़बानी आज भी
 

लौटकर आएगा वो किरदार, इस उम्मीद में
लेके बैठे हैं, अधूरी इक कहानी आज भी
 

मुस्कुराने की सज़ा हर बार ये देता है दिल
खुश्क आंखों से छलक जाता है पानी आज भी
 

रह गया है अब तो 'शाहिद' सिर्फ़ सांसों का सफर
ज़िन्दगी को ढूंढती है ज़िन्दगानी आज भी
 

शाहिद मिर्जा 'शाहिद'




33 comments:

इस्मत ज़ैदी said...

शाहिद साहब ,हमेशा की तरह बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल

लौटकर आएगा वो किरदार, इस उम्मीद में
लेके बैठे हैं, अधूरी इक कहानी आज भी
इंतज़ार की बेहद उम्दा अक्कासी ,उम्मेद ओ बीम की कैफ़ियत को बड़ी ख़ूबसूरती से पेश किया गया है

मुस्कुराने की सज़ा हर बार ये देता है दिल
खुश्क आंखों से छलक जाता है पानी आज भी
नाज़ुक एहसासात की तर्जुमानी करता ख़ूबसूरत शेर

बहुत ख़ूब !मुबारक हो

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

और तो फुर्सत किसे है, अपनी बरबादी का हाल
सुन लिया करते हैं ख़ुद अपनी ज़बानी आज भी

मुस्कुराने की सज़ा हर बार ये देता है दिल
खुश्क आंखों से छलक जाता है पानी आज भी |

हर अशआर खूबसूरत कहानी कहता हुआ ...बहुत खूब ..

shikha varshney said...

waah waah.. aapki gazal kee kahsiyat yah hai ki shuru se akhir tak har sher kamaal hota hai.
bahut khoob shahid sahab.

Udan Tashtari said...

वाह!!


दुआ करते है आपको राहत मिले..और हमें बेहतरीन पढ़ने का मौका...

daanish said...

शाहिद साहब ...
हमेशा ही की तरह एक शानदार ग़ज़ल ..
हर शेर
मन को कहीं क़रीब से छू कर गुज़रता हुआ
वाह !
और ...
खुश्क आंखों से छलक जाता है पानी आज भी
लाजवाब !!

Sunil Kumar said...

मुस्कुराने की सज़ा हर बार ये देता है दिल
खुश्क आंखों से छलक जाता है पानी आज भी
बहुत ख़ूब !मुबारक

Shah Nawaz said...

बेहद खूबसूरत ग़ज़ल... बहुत ही बेहतरीन!

Deepak Saini said...

वाह शाहिद साहब वाह
हर शेर पर दाद कबूल करे
बेहतरीन

devendra gautam said...

लौटकर आएगा वो किरदार, इस उम्मीद में
लेके बैठे हैं, अधूरी इक कहानी आज भी....wah! bahut achchhi ghazal kahi hai janab!

hamarivani said...

nice

'साहिल' said...

क्या खूब शेर हैं.............क्या रवानगी है इस ग़ज़ल में..............बहुत उम्दा !

Dr (Miss) Sharad Singh said...

लौटकर आएगा वो किरदार, इस उम्मीद में
लेके बैठे हैं, अधूरी इक कहानी आज भी...


क्या शेर कहे हैं आपने...
बेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल है !

ज्योति सिंह said...

मुस्कुराने की सज़ा हर बार ये देता है दिल
खुश्क आंखों से छलक जाता है पानी आज भी

रह गया है अब तो 'शाहिद' सिर्फ़ सांसों का सफर
ज़िन्दगी को ढूंढती है ज़िन्दगानी आज भी
laazwaab , kya kahoon ,bas yahi ki dil ko sukoon mila .

rashmi ravija said...

लौटकर आएगा वो किरदार, इस उम्मीद में
लेके बैठे हैं, अधूरी इक कहानी आज भी

क्या बात है.....बड़ी ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल

विशाल said...

बहुत उम्दा ग़ज़ल.
किस किस शेर की तारीफ़ करूं.
पूरी ग़ज़ल उम्दा.
सलाम.

रश्मि प्रभा... said...

लौटकर आएगा वो किरदार, इस उम्मीद में
लेके बैठे हैं, अधूरी इक कहानी आज भी
tabhi to ... aaj khoya link mila , gazal ko kai baar padha

नीरज गोस्वामी said...

भाई जान मसरूफियत से बड़ी नेमत ज़िन्दगी में दूसरी नहीं होती...आप मसरूफ रहें और उसी में से कुछ लम्हें चुरा कर इसी तरह की खूबसूरत ग़ज़लें हमें सुनाते रहें...बस....इस ग़ज़ल के लिए क्या कहूँ मतले से मकते तक का सफ़र इस कदर हसीन है के बेसाख्ता मुंह से वाह वाह निकल रही है...हर शेर लाजवाब...बेहतरीन...वाह वाह वाह...

नीरज

अनामिका की सदायें ...... said...

waah ji kya baat hai. har sher me bahut vazan hai. ek se badh ek sher hai. bahut bahut badhiya.

रजनीश तिवारी said...

रह गया है अब तो 'शाहिद' सिर्फ़ सांसों का सफर
ज़िन्दगी को ढूंढती है ज़िन्दगानी आज भी

bahut achchi gazal !

***Punam*** said...

मुस्कुराने की सज़ा हर बार ये देता है दिल
खुश्क आंखों से छलक जाता है पानी आज भी

लेकिन कमबख्त दिल है कि मुस्कराए बगैर मानता नहीं है और हर बार अपने किये की सज़ा आँखों को दे बैठता है..!!
उम्दा के अलावा और अलफ़ाज़ नहीं हैं मेरे पास....

شہروز said...

umda!!! mubarakbad lijiye dil se!!

Sawai Singh Rajpurohit said...

दिन मैं सूरज गायब हो सकता है

रोशनी नही

दिल टू सटकता है

दोस्ती नही

आप टिप्पणी करना भूल सकते हो

हम नही

हम से टॉस कोई भी जीत सकता है

पर मैच नही

चक दे इंडिया हम ही जीत गए

भारत के विश्व चैम्पियन बनने पर आप सबको ढेरों बधाइयाँ और आपको एवं आपके परिवार को हिंदी नया साल(नवसंवत्सर२०६८ )की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!

आपका स्वागत है
"गौ ह्त्या के चंद कारण और हमारे जीवन में भूमिका!"
और
121 करोड़ हिंदुस्तानियों का सपना पूरा हो गया

आपके सुझाव और संदेश जरुर दे!

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

आदरणीय भाईजान शाहिद मिर्जा 'शाहिद' जी
सादर सस्नेहाभिवादन !

पिछले कई दिनों से मेरी पसंद के बहुत सारे ब्लॉग्स पर मेरी ग़ैरहाज़िरी चल रही है …
जज़्बात भी मेरा ऐसा ही पसंदीदा ठिकाना है …

ख़ैर , यहां जब भी आना हो , ख़ज़ाना खुला ही मिलता है ,
जी भर कर अदब-ओ-फ़न के लाल-ओ-गौहर से दामन भर ले कोई…

कितनी ख़ूबसूरत ग़ज़ल है … हमेशा की तरह ही … सुब्हानअल्लाह !
रंज-ओ-ग़म के दरमियां है शादमानी आज भी
कर रही है मुझ पे किस्मत मेहरबानी आज भी

और तो फुर्सत किसे है, अपनी बरबादी का हाल
सुन लिया करते हैं ख़ुद अपनी ज़बानी आज भी

हर शे'र कोट करने लायक है …
मां सरस्वती की कृपा बनी रहे … तथास्तु !

*नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !*

- राजेन्द्र स्वर्णकार

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

और हां…

क्रिकेट में भारत के विश्वविजेता बनने पर हार्दिक बधाई !

हरकीरत ' हीर' said...

लौटकर आएगा वो किरदार, इस उम्मीद में
लेके बैठे हैं, अधूरी इक कहानी आज भी

सुभानाल्लाह ......!!

दिगम्बर नासवा said...

लौटकर आएगा वो किरदार, इस उम्मीद में
लेके बैठे हैं, अधूरी इक कहानी आज भी ...

वाह शाहिद जी ... हमेशा की तरह लाजवाब ग़ज़ल ... आपका अंदाज़े-बयान जुदा है ... बेमिसाल है ...

Asha Joglekar said...

लौटकर आएगा वो किरदार, इस उम्मीद में
लेके बैठे हैं, अधूरी इक कहानी आज भी ।
कमाल की गज़ल एक एक शेर नायाब ।
आपकी शादमानी बनी रहे ।

Rajesh Kumari said...

Shahid ji aapke bog per first time aai hoon.bahut khoobsurat ghazals padhne ko mili.ghazals main hamesha pasand karti hoon.vaqt milega to aapki rachnaayen aur bhi padhna chahungi.i would like to follow you.visit my blog also aapki pratikriya ka intjaar rahega.

mridula pradhan said...

behad khoobsurat....

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

शाहिद भाई, ऐसे ही वक्‍त निकालते रहा करिए। गजल हमेशा की तरह शानदार है। बधाई।

............
ब्‍लॉगिंग को प्रोत्‍साहन चाहिए?
लिंग से पत्‍थर उठाने का हठयोग।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

ज़िन्दगी को ढूंढती है ज़िन्दगानी आज भी
...वाह बेहतरीन गज़ल। मक्ते का यह मिसरा लाज़वाब है।

http://anusamvedna.blogspot.com said...

मुस्कुराने की सज़ा हर बार ये देता है दिल
खुश्क आंखों से छलक जाता है पानी आज भी

आप की सब गजले पढ़ी सब एक से बढ़ कर एक है.....हर शेर लाजवाब ....बेहतरीन गजले पढवाने के लिए धन्यवाद

रजनीश तिवारी said...

रह गया है अब तो 'शाहिद' सिर्फ़ सांसों का सफर
ज़िन्दगी को ढूंढती है ज़िन्दगानी आज भी
बेहतरीन गज़ल ।