स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
सुनहरे हर्फ़ों से उनकी लिखी कथाएं हैं वो जिनके सदके में आज़ाद ये फ़िज़ाएं हैं
जी हां, ठीक एक साल पहले पंकज सुबीर जी के
ब्लॉग पर आई ये ग़ज़ल बहुत पसंद की गई...
वैसे तो स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में जितना भी लिखा जाए, कम है,
फिर भी...
शहीदों की स्मृति में एक और कोशिश हाज़िर है
मुलाहिज़ा फ़रमाएं-
इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों का दामन स्वीकार करो
मातृभूमि के अमर सपूतो चिर जीवन स्वीकार करो
जी हां, ठीक एक साल पहले पंकज सुबीर जी के
ब्लॉग पर आई ये ग़ज़ल बहुत पसंद की गई...
वैसे तो स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में जितना भी लिखा जाए, कम है,
फिर भी...
शहीदों की स्मृति में एक और कोशिश हाज़िर है
मुलाहिज़ा फ़रमाएं-
इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों का दामन स्वीकार करो
मातृभूमि के अमर सपूतो चिर जीवन स्वीकार करो
प्रकृति की हर इक कृति करती शत-शत नमन तुम्हे
सूरज की किरनों का पावन अभिवादन स्वीकार करो
सूरज की किरनों का पावन अभिवादन स्वीकार करो
क़तरा-क़तरा जहां गिरा है ऋणी धरा बलिदानों की
रेगिस्तानों में खिल उठे हैं उपवन स्वीकार करो
रेगिस्तानों में खिल उठे हैं उपवन स्वीकार करो
अपने लहू से आज़ादी की गाथा लिखी तुमने उसका
स्मृति के संग सुगंधित गठबंधन स्वीकार करो
स्मृति के संग सुगंधित गठबंधन स्वीकार करो
हर भारतवासी के दिल में तुलसी सा स्थान लिया
तुमको समर्पित करते हैं घर का आंगन स्वीकार करो
तुमको समर्पित करते हैं घर का आंगन स्वीकार करो
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
28 comments:
सुन्दर प्रस्तुति.....
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
प्रिय भाईजान शाहिद मिर्ज़ा शाहिद जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
शहीदों की स्मृति में लिखी गई आपकी रचना बहुत सार्थक है -
क़तरा-क़तरा जहां गिरा है ऋणी धरा बलिदानों की
रेगिस्तानों में खिल उठे हैं उपवन स्वीकार करो
पढ़ कर स्वयं को धन्य मान रहा हूं । आभार और बधाई स्वीकार करें ।
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
स्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
शहीदों के बलिदान को याद रहें हमेशा ...
अच्छी प्रस्तुति !
हर भारतवासी के दिल में तुलसी सा स्थान लिया
तुमको समर्पित करते हैं घर का आंगन स्वीकार करो
vande matram
बहुत खूबसूरत गज़ल ..
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और ढेर सारी बधाईयां
सुंदर कृति जो देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत है और पाठक को भी देशप्रेम के रंग में रंगती है
प्रकृति की हर इक कृति करती शत-शत नमन तुम्हे
सूरज की किरनों का पावन अभिवादन स्वीकार करो
क़तरा-क़तरा जहां गिरा है ऋणी धरा बलिदानों की
रेगिस्तानों में खिल उठे हैं उपवन स्वीकार करो
अपने लहू से आज़ादी की गाथा लिखी तुमने उसका
स्मृति के संग सुगंधित गठबंधन स्वीकार करो
सच है हम शहीदों के ख़ून के हर क़तरे के ॠणी हैं
लेकिन फिर भी शायद उस के मूल्य को समझ नहीं पा रहे हैं
ऐसी रचनाएं शायद हमारा अंतर्मन झिंझोड़ कर देश की आज़ादी की क़ीमत को पहचनवा सकें
इस बहुत अच्छी रचना के लिये बधाई स्वीकार करें
आप के इस जज़्बे को सलाम
अपने लहू से आज़ादी की गाथा लिखी तुमने उसका
स्मृति के संग सुगंधित गठबंधन स्वीकार करो
हर भारतवासी के दिल में तुलसी सा स्थान लिया
तुमको समर्पित करते हैं घर का आंगन स्वीकार करो
bahut hi badhiya likha hai ,in vicharo ko padhkar kaun kahega hum ek nahi ,un sabhi shahido ko naman jinki vajah se aaj khuli hawan me tiranga lahra rahe hai aur aazadi ka jashn bade utsaah ke saath mana rahe hai .jai hind swatantrata divas ki badhai sweekare .
स्वतंत्रता दिवस की शुभकानाएं
वाह शाहिद भाई वाह...क्या कहूँ...??बेहद खूबसूरत लिखा है भाई...सलामत रहो...
नीरज
क़तरा-क़तरा जहां गिरा है ऋणी धरा बलिदानों की
रेगिस्तानों में खिल उठे हैं उपवन स्वीकार करो
अपने लहू से आज़ादी की गाथा लिखी तुमने उसका
स्मृति के संग सुगंधित गठबंधन स्वीकार करो
हर भारतवासी के दिल में तुलसी सा स्थान लिया
तुमको समर्पित करते हैं घर का आंगन स्वीकार करो
शाहिद जी आपके तो एक-एक शब्द सीधे दिल में उतरते हैं .....
सच में ये धरती ऋणी है उन बलिदानों की ..
तुलसी की उपमा तो कमाल की दी आपने वीरों को ....
लाजवाब प्रस्तुती .....
हर भारतवासी के दिल में तुलसी सा स्थान लिया
तुमको समर्पित करते हैं घर का आंगन स्वीकार करो
क्या बात है शाहिद जी. पूरी ग़ज़ल की जान है ये अन्तिम शेर. आज़ादी का ये महापर्व मुबारक हो.
सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ भावपूर्ण कविता लिखा है आपने! शानदार प्रस्तुती!
आपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
अपने लहू से आज़ादी की गाथा लिखी तुमने उसका
स्मृति के संग सुगंधित गठबंधन स्वीकार करो
हर शेर दिल तक जाता है...
बहुत उम्दा ग़ज़ल...
राष्ट्र पर्व की हार्दिक बधाइयां...
Bahut-acchhi rachna.. pura man bharatmayi ho gaya.. dhanyawaad..
अपने लहू से आज़ादी की गाथा लिखी तुमने उसका
स्मृति के संग सुगंधित गठबंधन स्वीकार करो
भारत माँ के महान सपूत और उनके बलिदान को
नमन-स्वरुप रचा गया यह अनुपम काव्य
निश्चित और उचित रूप में उन अमर शहीदों के प्रति
श्रद्धांजली है आपकी,,, और इस पुन्य प्रसंग में
हर पढने वाला आपकी आवाज़ के साथ है ....
ऐसी अनूठी रचना-कुशलता के लिए
मेरी ओर से बधाई स्वीकार करें .
सुन्दर प्रस्तुति...
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं****
हर भारतवासी के दिल में तुलसी सा स्थान लिया
तुमको समर्पित करते हैं घर का आंगन स्वीकार करो
सुन्दर भावाभिव्यक्ति...
आप से निवेदन है इस लेख पर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दे!
तुम मुझे गाय दो, मैं तुम्हे भारत दूंगा
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आभार
'हर भारतवासी के दिल में तुलसी सा स्थान लिया
तुमको समर्पित करते हैं घर का आंगन स्वीकार करो'
--बहुत ही सुन्दर ख्याल हैं.
--बहुत उम्दा ग़ज़ल.इस जज़्बे को हम सब अपने दिल में हमेशा बनाये रखें और देशप्रेम की अलख जगाए रखें..
**आज १६ अगस्त के दिन को समझा है तो जाना कि आज़ादी सही मायनों में अभी भी मिली नहीं है..हाँ....अमेरिका ने आज के दिन को देख कर ज़रूर भारतवासियों के जज़्बे को सराहा है ...!
हर भारतवासी के दिल में तुलसी सा स्थान लिया
तुमको समर्पित करते हैं घर का आंगन स्वीकार करो
शाहिद जी ... मात्रभूमि को समर्पित ... देश प्रेम की ऋचाओं से सजी लाजवाब प्रस्तुति की जितना पढ़ो उतना ही मन गदगद होता है ... कमाल की प्रस्तुति है ... बधाई स्वतंत्रता दिवस की ...
क़तरा-क़तरा जहां गिरा है ऋणी धरा बलिदानों की
रेगिस्तानों में खिल उठे हैं उपवन स्वीकार करो
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल
bahut sunder gazel.
आपको एवं आपके परिवार को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
अच्छा लिखा है. सचिन को भारत रत्न क्यों? कृपया पढ़े और अपने विचार अवश्य व्यक्त करे.
http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com
SARTHAK PRASTUTI .AABHAR
BHARTIY NARI
इतनी खूबसूरत गज़ल के लिये आपको बहुत बधाई ।
आजादी के लिये जान कुर्बान करने वालों के प्रति हमारी सरकार का रवैया देख कर शर्म आती है ।
प्रकृति की हर इक कृति करती शत-शत नमन तुम्हे
सूरज की किरनों का पावन अभिवादन स्वीकार करो
इन ही खूब सूरत पंक्तियों के साथ आप को भी हमारा अभिवादन !
सादर
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