ग़ज़ल
ज़िन्दगी इतनी बरहमी मत रख
मेरे साग़र में तश्नगी मत रख
(बरहमी=नाराज़गी, सागर=पैमाना, तश्नगी=प्यास)
वो न बदले हैं और न बदलेंगे
कोई उम्मीद आज भी मत रख
हर घड़ी इम्तहान की मत रख
दुनियादारी बहुत ज़रूरी है
इतनी लहजे में सादगी मत रख
इनको भी मुस्कुराने दे शाहिद
आंखें नम-नम, भरी-भरी मत रख
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
34 comments:
दुनियादारी बहुत ज़रूरी है
इतनी लहजे में सादगी मत रख
एकदम कायदे की बात ..
उम्दा गज़ल शाहिद जी !
ज़िन्दगी इतनी बरहमी मत रख
मेरे साग़र में तश्नगी मत रख
बेहद ख़ूबसूरत मतले से शुरु हुई ये ग़ज़ल उतनी ही ख़ूबसूरती के साथ एख़्तेतामपज़ीर होती है ,,साग़र के साथ तश्नगी का इस्तेमाल इस शेर को इक नई ज़िया बख़्श्ता है ,,बहुत ख़ूब !
इनको भी मुस्कुराने दे शाहिद
आंखें नम-नम, भरी-भरी मत रख
क्या बात है !!
ख़ुद से ही इल्तेजा का ऐसा अंदाज़ कि पढ़ने वाला इस इल्तेजा के कर्ब को महसूस किये बग़ैर नहीं रह सकता
बहुत उम्दा !!
bahut khub ....
बहुत सुंदर वाह!
नई पोस्ट में स्वागत है
वाह ..बहुत खूब कहा है आपने ।
दुनियादारी बहुत ज़रूरी है
इतनी लहजे में सादगी मत रख
सार्थक सन्देश देती पंक्तियाँ ..खूबसूरत गज़ल
ज़िन्दगी इतनी बरहमी मत रख
मेरे साग़र में तश्नगी मत रख
वाह! आदरणीय शाहिद सर...
खुबसूरत ग़ज़ल...
सादर बधाई स्वीकारें...
बहुत सुन्दर शहीद जी ..खासकर ये वाला ...
इनको भी मुस्कुराने दे शाहिद
आंखें नम-नम, भरी-भरी मत रख
वो न बदले हैं और न बदलेंगे
कोई उम्मीद आज भी मत रख ...
लाजवाब मतले से गज़ल का आगाज़ और फिर तो बस कमाल ही किया है हर शेर में शाहिद जी ...
साड़ी और सीधी भाषा में गहरी बात आसानी से कह दी ... सुभान अल्ला ...
बहुत सुन्दर गज़ल शाहिद जी.
कर अता ऐ नसीब फ़ुरसत भी
हर घड़ी इम्तहान की मत रख
क्या बात है! बहुत सुन्दर ग़ज़ल.
बहुत सुन्दर प्रविष्टि...वाह!
दुनियादारी बहुत ज़रूरी है
इतनी लहजे में सादगी मत रख
सरल शब्दों में गहरी बात...सुन्दर ग़ज़ल
साधु-साधु
vaah ...lajaqbaab ghazal.
बेहद खुबसूरत लिखा है , अच्छी लगी .
laajawab gazal......
waah! bahut khub....
waah! bahut khub...
ज़िन्दगी, इतनी बरहमी मत रख
मेरे साग़र में तश्नगी मत रख
ज़िन्दगी से सवालात करने का कारगर तरीक़ा !
बहुत अच्छा मतला ... वाह !!
और
दुनियादारी बहुत ज़रूरी है ...
हुज़ूर ,, यह शेर तो सभी के काम आ सकता है, कहीं भी,, कभी भी
आपका अंदाज़ क़ाबिले ग़ौर है जनाब
एक कामयाब ग़ज़ल के लिए ढेरों मुबारकबाद .
bahut hi umda ...
ज़िन्दगी इतनी बरहमी मत रख
मेरे साग़र में तश्नगी मत रख
वो न बदले हैं और न बदलेंगे
कोई उम्मीद आज भी मत रख
क्या खूब मतला है......
कर अता ऐ नसीब फ़ुरसत भी
हर घड़ी इम्तहान की मत रख
बहुत प्यारी ग़ज़ल......
इस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।
laazwaab .
3-4 mahine baad aai hoon blog par aur aapki kai rachna na padhne ka afsos bhi hai .
बहुत खूबसूरत रचना
सुंदर गजल के लिए बधाई ,.....
मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
जहर इन्हीं का बोया है, प्रेम-भाव परिपाटी में
घोल दिया बारूद इन्होने, हँसते गाते माटी में,
मस्ती में बौराये नेता, चमचे लगे दलाली में
रख छूरी जनता के,अफसर मस्त है लाली में,
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
"दुनियादारी बहुत ज़रूरी है
इतनी लहजे में सादगी मत रख !"
और एक हम हैं कि यही बार बार भूल जाते हैं !
ख़ूबसूरती के साथ ग़ज़ल के माध्यम से याद दिलाने का शुक्रिया....
कर अता ऐ नसीब फ़ुरसत भी
हर घड़ी इम्तहान की मत रख
दुनियादारी बहुत ज़रूरी है
इतनी लहजे में सादगी मत रख
बहुत अच्छे अशआर
बहुत सुंदर गजल,...बहुत उम्दा
नया साल सुखद एवं मंगलमय हो,..
आपके जीवन को प्रेम एवं विश्वास से महकाता रहे,
मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--
इनको भी मुस्कराने दे शाहिद,
आँखें नम नम,भरी भरी मत रख।
सीधे दिल में उतर जाने वाली बात,बहुत बहुत
बधाई एवं नये वर्ष की हृार्दिक शुभकामनायें।
आपको एवं आपके परिवार के सभी बहुत को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
इनको भी मुस्कुराने दे शाहिद
आंखें नम-नम, भरी-भरी मत रख
वाह शाहिद भाई वाह ।
दुनियादारी बहुत ज़रूरी है
इतनी लहजे में सादगी मत रख
कमाल का शेर है। बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखी है आपने। पहली बार आको पढ़ा, प्रभावित किया आपकी लेखनी ने।
बहुत उम्दा रचना |
हालाँकि मेरी उर्दू का ज्ञान बहुत सतही है लेकिन आपने हिंदी अर्थ देकर इसे सभी के योग्य बना दिया |
बहुत - बहुत बधाई और शुभकामनाएं |
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