एक ग़ज़ल
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हर मसअले का हल निकलेगा
आज नहीं तो कल निकलेगा
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हर मसअले का हल निकलेगा
आज नहीं तो कल निकलेगा
उसकी रज़ा शामिल हो जिसमें
उस ठोकर से जल निकलेगा
दुःख की गठरी खोल के देखो
कोई ख़ुशी का पल निकलेगा
दीवानों से पूछ के देखो
अहले-ख़िरद पागल निकलेगा
शीशे को तोड़ा है उसने
पत्थर भी घायल निकलेगा
तूने क्या सोचा था शाहिद
जल गई रस्सी बल निकलेगा
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शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
उस ठोकर से जल निकलेगा
दुःख की गठरी खोल के देखो
कोई ख़ुशी का पल निकलेगा
दीवानों से पूछ के देखो
अहले-ख़िरद पागल निकलेगा
शीशे को तोड़ा है उसने
पत्थर भी घायल निकलेगा
तूने क्या सोचा था शाहिद
जल गई रस्सी बल निकलेगा
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शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
1 comment:
बेहद खूबसूरत
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