जज़्बात का तूफान उठे जब कभी 'शाहिद'........ नग़मात. कोई गीत. कोई शेर बने हैं.
क़ता
अम्न-अम्न कहकर जो सिर्फ़ लड़ाते हैं।
आज खिलाड़ी सफल वही कहलाते हैं।।
मज़हब और सियासत का है खेल यही
धागों में...धागे...उलझाए जाते हैं।।
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
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