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Friday, September 17, 2021

रक्षाबंधन पर तीन मुक्तक

 


रंग राखी का

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कितना मज़बूत है विश्वास का धागा शाहिद

सूत्र ये कितनी दुआओं से भरा होता है

क़िस्सा मेवाड़ की रानी का बताता है यही

रंग राखी का न भगवा न हरा होता है

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बहन के जज़्बात

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लड़कपन के कई प्यारे से क़िस्से छोड़ आई हूं

लड़ाते थे जो भाई से, खिलोने छोड़ आई हूं

नसीहत- सस्कारों के सिवा बाबुल के आंगन में

कई अनमोल यादों के ख़ज़ाने छोड़ आई हूं

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भाई की भावना 

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मुझे घर की ज़रूरत ने भी कुछ उलझा के रखा है।

भुलक्कड़ सा है वैसे भी ये भाई, भूल मत जाना।।

तेरी अपनी नए घर में हैं जिम्मेदारियां लेकिन,

तकेगी राह राखी की, कलाई भूल मत जाना।।

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शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

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