जज़्बात का तूफान उठे जब कभी 'शाहिद'........ नग़मात. कोई गीत. कोई शेर बने हैं.
ज़रूरी है अना के परबतों पर गर्मजोशी भी
न पिघली बर्फ तो रिश्तों का दरिया सूख जाएगा।।
मुहब्बत ज़िंदा रखने को मुलाक़ातें ज़रूरी हैं
न देंगे खाद-पानी तो ये पौधा सूख जाएगा
( शाहिद मिर्ज़ा शाहिद)
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