ग़ज़ल
सिलसिला टूटा तो बनकर दास्तां रह जाएगा
ख्वाहिशों का मिटके भी कुछ तो निशां रह जाएगाहां, मैं तुझसे हूं, मगर मेरा भी है अपना वजूद
पत्ते गिर जायेंगे तो, साया कहां रह जाएगादर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगाटूटकर गिरते रहे यूं ही, जो मेरे बाद भी
चाँद तारों को तरसता आसमां रह जाएगामैं तेरा अपना ही हूं, इस बात का शाहिद* यहां
तेरे कूचे में मेरा , खाली मकां रह जाएगा(गवाह*)
शाहिद मिर्जा शाहिद
54 comments:
शाहिद साहब ,
एक बेहद उम्दा और मुकम्मल ग़ज़ल
हां, मैं तुझसे हूं, मगर मेरा भी है अपना वजूद
पत्ते गिर जायेंगे तो, साया कहां रह जाएगा
दर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगा
वाह !
ख़ास तौर से ये शेर तो ग़ज़ल की जान है
मैं तेरा अपना ही हूं, इस बात का शाहिद यहां
तेरे कूचे में मेरा , खाली मकां रह जाएगा
अल्फ़ाज़ नहीं हैं इस शेर की तारीफ़ के लिए
मुबारक हो
हां, मैं तुझसे हूं, मगर मेरा भी है अपना वजूद
पत्ते गिर जायेंगे तो, साया कहां रह जाएगा
दर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगा
बेहद खुबसूरत शेर है, वैसे तो गज़ल का हर शेर अपने आप में कमल है ! दिल खुश हो गया पड़ कर इस बेहतरीन गज़ल को पेश करने के लिए शुक्रिया !!
टूटकर गिरते रहे यूं ही, जो मेरे बाद भी
चाँद तारों को तरसता आसमां रह जाएगा
क्या बात कही है शाहिद साहेब ! जबरदस्त्त..शानदार ग़ज़ल है
हां, मैं तुझसे हूं, मगर मेरा भी है अपना वजूद
गिर गये पत्ते तो फिर साया कहां रह जाएगा।
वाह शाहिद भाई,
दरख़्तों ने अब तक ये सोचा न होगा
कि पत्ते मुसाफि़र को देते हैं साया।
एक अच्छी खासी ग़लतफ़हमी तोड़ दी आपने दरख़्तों की।
दर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगा
वाह शाहिद भाई वाह...क्या ग़ज़ल कही है आपने...वाह...सारे शेर अच्छे हैं...लिखते रहें...
नीरज
दिल को छूते हर एक शे'र.
शुक्रिया.
बेहद उम्दा ग़ज़ल.....बधाई
लाजवाब ,अब तारीफों का जमावड़ा लगने वाला है | ' मैं तेरा अपना ही हूँ ' की जगह ' तेरा अपना ही हूँ मैं ' या ' हूँ मैं तेरा अपना ही ' लिखें तो गाते वक़्त पिछले शेरों वाला तरन्नुम आ पा रहा है | अब एक निशाना आप पर ....उलझते हैं जो मिसाइल में , वो भी देखें आन कर , जुल्फ से बसता है घर , बेरौनकी का मन्जर ही रह जायेगा ....| , बेतक्कलुफी के लिए माफी चाहूंगी | मुबारक बहुत बहुत |
Sabhi ashar behad achhe hain...kise dohraun?
वाह अद्भुत सुन्दर पंक्तियाँ! बेहद पसंद आया आपकी ये भावपूर्ण ग़ज़ल! शानदार और जानदार ग़ज़ल! दिल को छू गयी हर एक शेर !
"हां, मैं तुझसे हूं,मगर मेरा भी है अपना वजूद
पत्ते गिर जायेंगे तो, साया कहां रह जाएगा "
वाह शाहिद भाई !
पहली बार पढ़ा है आपको ,बहुत बढ़िया अंदाज़ !
आदाब शाहिद साहब ...
हां, मैं तुझसे हूं, मगर मेरा भी है अपना वजूद
पत्ते गिर जायेंगे तो, साया कहां रह जाएगा
वाह क्या शेर है शाहिद साहब .. सच है पत्तों को बना रहना चाहिए .. धूप में साया ही काम आता है ...
दर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगा
ग़ज़ब ... दर्द और दिल का तो जानम जानम का साथ वैसे भी होता है ... बहुत कमाल का लिखा है....
आपने पूरी ग़ज़ल में कमाल के शेर चुने हैं ... हर शेर जुदा है अपने एहसास लिए ...
सिलसिला टूटा तो बनकर दास्तां रह जाएगा
ख्वाहिशों का मिटके भी कुछ तो निशां रह
har baat laazwaab yoon laga dil se apne hi nikal gayi baat .bahut khoob man nahi bhara padhkar
बेहद उम्दा ग़ज़ल....कमाल के शेर हैं
शाहिद जी, आप या इस्मत जी या उफ़लिस साहब या गौतम जी, या नीरज जी या सर्वत साहब या......जब भी कोई इतनी खूबसूरती से गज़ल या कविता के माध्यम से अपनी बात कहता है तो मुझे न केवल अचरज होता है, बल्कि मैं आपलोगों के फ़न की क़ायल हो जाती हूं.
"हां, मैं तुझसे हूं, मगर मेरा भी है अपना वजूद
पत्ते गिर जायेंगे तो, साया कहां रह जाएगा"
और-
"मैं तेरा अपना ही हूं, इस बात का शाहिद यहां
तेरे कूचे में मेरा , खाली मकां रह जाएगा"
जैसे शेरों की किन शब्दों में तारीफ़ करूं? बहुत-बहुत सुन्दर गज़ल. बधाई.
वाह मतला ही अपने आप में जबरदस्त है क्या खूब,... टूट कर पता... और कामता किस खूबसूरती से आपने लगाया है ... हम तो इसी पर मर मिटे हैं ... बहुत खूब... बढ़ाई कुबूल करें...
आपका
अर्श
माफ़ करें, मैने मुफ़लिस साहब लिखना चाहा था. मुफ़लिस साहब से खास तौर पर क्षमाप्रार्थी हूं.
तेरे कूचे मे मेरा खाली मकाँ रह जायेगा ... बहुत अच्छा मिसरा है यह ।
जनाब,
बिल्कुल सही फरमाया है आपने 'शाहिद' दिल मसाइल में उलझता है...। मुक्कमल गज़ल। और ये तो बहुत खूब लिखा कि - "दर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है, दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जायेगा..." दोनों इंसा औ खुदा से हैं, दर्द इंसा और दिल खुदा...। खैर 'कुछ तो है ऐसा जो दिल को धडकाता है, ये दर्द की बिसात है जो फना हो जाता है..।'
सिलसिले का टूटना दास्ताँ बनना
आह बस खाली मकाँ होना।
सिलसिला टूटा तो बनकर दास्तां रह जाएगा
ख्वाहिशों का मिटके भी कुछ तो निशां रह जाएगा
waah kya baat kahi hai matle mein
हां, मैं तुझसे हूं, मगर मेरा भी है अपना वजूद
पत्ते गिर जायेंगे तो, साया कहां रह जाएगा
bahut bahut khoob
दर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगा
waah waah kamaaal
टूटकर गिरते रहे यूं ही, जो मेरे बाद भी
चाँद तारों को तरसता आसमां रह जाएगा
मैं तेरा अपना ही हूं, इस बात का शाहिद* यहां
तेरे कूचे में मेरा , खाली मकां रह जाएगा
sakun dene wali gazal
दर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगा
...वाह! बेहतरीन शेर है.
हां, मैं तुझसे हूं, मगर मेरा भी है अपना वजूद
पत्ते गिर जायेंगे तो, साया कहां रह जाएगा
इस लाजवाब शेर को पढ़ते ही लगा
काश इतने ही पुर-असर अलफ़ाज़ में
दाद दे पाता..... बहुत खूब कहा है जनाब
दर्द से खाली हुआ , तो दिल कहाँ रह जाएगा
अपने आप में मुकम्मिल मिसरा है ...वाह !!
ग़ज़ल के बाक़ी शेर भी असर छोड़ते हैं ....
मुबारकबाद कुबूल फरमाएं
शाहिद साहब आपकी गजल हमेशा की तरह उम्दा ।
ये तो कमाल है ,
दर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगा
बढ़िया है शाहिद भाई ।
सिलसिला टूटा तो बनकर दास्तां रह जाएगा
ख्वाहिशों का मिटके भी कुछ तो निशां रह जाएगा
बहुत खूब.......!!
दर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगा
वाह-वाह.......!!
टूटकर गिरते रहे यूं ही, जो मेरे बाद भी
चाँद तारों को तरसता आसमां रह जाएगा
अच्छा.......????
देखते हैं ......कहीं और न पैदा होते रहे ......!!
दर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगा
Nishabd hun!
शाहिद जी बस और क्या कहूँ दिल में उतर गयी एक एक बात बेहतरीन
दर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगा
waah bahut khoobsurat combination between dil n dard.
सिलसिला टूटा तो बनकर दास्तां रह जाएगा
ख्वाहिशों का मिटके भी कुछ तो निशां रह जाएगा
कितना सही लिखा है आपने यही निशां तो दर्द ए दिल का सबब है
सुमन’मीत’
दर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगा
टूटकर गिरते रहे यूं ही, जो मेरे बाद भी
चाँद तारों को तरसता आसमां रह जाएग
वाह खूबसूरत लाजवाब बस इतना ही कह सकती हूँ। आपको पढना बहुत अच्छा लगता है। शुभकामनायें
very nice gazal!mere blog per aane aur nawazne ke liye shukriya shahid sahab!
दर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगा
waah! waah! bahut umda!
bahut hi bahut khubsurat baat kah di!
Ghazal bahut hi achchhee lagi.
Abhaar.
बहुत अच्छा लिखा है।
जो भी पड़ेगा इक बार यह ग़ज़ल !
बार-बार पड़ेगा और पड़ता रह जाएगा !!
दिल को छु गया हर लफ्ज़
शुक्रिया !!
bahoot kuchh keh diya gya hai upar
ab mai kya kahoon...?
bahoot badhiya..
kunwarji,
हां, मैं तुझसे हूं,मगर मेरा भी है अपना वजूद
पत्ते गिर जायेंगे तो, साया कहां रह जाएगा "
सिलसिला टूटा तो बनकर दास्तां रह जाएगा
ख्वाहिशों का मिटके भी कुछ तो निशां रह जाएगा
jitnee var pada man nahee bhara........
Shahid Bhai,
Bahut sunder ghazal kahi hai apne. Har sher dil ko choota hua.
Dard ki khatir hai dil aur dil ki khatir dard hai,
Dard se khali hua to dil kahan rah jayega.
Bahut sunder Badhai.
शुक्रिया ,
देर से आने के लिए माज़रत चाहती हूँ ,
उम्दा पोस्ट .
gazal ....muqarrar
"टूटकर गिरते रहे यूं ही, जो मेरे बाद भी/चाँद तारों को तरसता आसमां रह जाएगा"...अरे वाह वाह, शाहिद साब...वाह वाह। क्या शेर बुना है सर जी। यूं तो पूरी ग़ज़ल ही लाजवाब बनी है और मक्ता तो आपका हमेशा ही लाजवाब होता है।
दो बेहतरीन ग़ज़लें पढ़ ली आज...रात बन गयी।
शाहिद साहब,
हर शे’र काबिले-दाद है। फिर भी ये खा़स लगे
टूटकर गिरते रहे यूं ही, जो मेरे बाद भी
चाँद तारों को तरसता आसमां रह जाएगा
मैं तेरा अपना ही हूं, इस बात का शाहिद* यहां
तेरे कूचे में मेरा , खाली मकां रह जाएगा
मुबारकबाद देता हूँ एक मुकम्मिल ग़ज़ल के लिये
Mirzaa saahb sabse pehle to deree ke liye dil se muaafi.
aur kya kahun main aapkee is gazal ke ashaar ke baare me...dil ke andar tak utar gai...aur ye baat main apne dil se kah rahaa hoon....AUR BAS......WAH! WAH! WAH! WAH! WAH! WAH!!
"हां, मैं तुझसे हूं, मगर मेरा भी है अपना वजूद
पत्ते गिर जायेंगे तो, साया कहां रह जाएगा
दर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगा"
dil jeet liyaa aapne... to...wah! wah!
पूरी ग़ज़ल लाजवाब...
लेकिन दुसरे शे'र का....
हां, मैं तुझसे हूं, मगर मेरा भी है अपना वजूद
और तीसरे शे'र में..
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगा....
कमाल की कलाकारी लिए हैं....
और हाँ,
मकते में.....
मैं तेरा अपना ही हूं, इस बात का शाहिद* यहां
तेरे कूचे में मेरा , खाली मकां रह जाएगा
(गवाह*)
अगर आप ( गवाह ) नहीं लिखते तो इस बेजोड़ मकते का पूरा लुत्फ़ नहीं ले पाते हम...
shahid sahab
umda rachna
दर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगा
waah
गजल में भाव और भाषा दोनों में बेहतरीन तालमेल है। हर शेर अनुभूति के स्तर मुखर है। मतले में प्राण फूंक दिए हैं आपने.....बधाई..... सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
Aapki rachnayen baar,baar padhneka man karta hai!
आखर कलश के संचालक श्री सुनील गज्जाणी ने मेल से अपनी प्रतिक्रिया दी है-
मैं तेरा अपना ही हूं, इस बात का शाहिद यहां
तेरे कूचे में मेरा , खाली मकां रह जाएगा
शाहिद साब
आदाब,
उम्दा ग़ज़ल के लिए आप को साधू वाद ,
(मैंने कमेंट्स बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया देने का प्रयास किया मगर पूरा शो नहीं हो पा रहा था इस लिए मेल भेजा है)
शुक्रिया ,
सादर प्रणाम
दर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगा.......
आपका दिलकश अंदाज़े-बयां,
दिल और दर्द के अटूट रिश्ते के तर्जुमानी करता ये शेर....
क्या कहें, वाह वाह....
बहुत खूब.....सुबहान अल्लाह...
शुक्रिया शाहिद साहब .
एक एक शेर को चुन चुन कर दाद देते हैं और मेरी ग़ज़ल में क्या बेहतरीन शेर का इज़ाफ़ा किया है आपने !
आपका मज़ाक़ कब ख़त्म होगा ताकि दूसरी नयी ग़ज़ल पढ़ने को मिले
वैसे ये ग़ज़ल भी कमाल है !
दर्द की खातिर है दिल, और दिल की खातिर दर्द है
दर्द से खाली हुआ तो, दिल कहां रह जाएगा
सच कहा है आपने, वो दिल दिल नहीं जो दर्द से खाली हो ! बहुत सुन्दर ग़ज़ल है !
Aap jaison ko padhati hun,to lagta hai,maine pady me likhna band kar dena chahiye!
52 comments ke baad iske alawa kya kahun?
सिलसिला टूटा तो बनकर दास्तां रह जाएगा
ख्वाहिशों का मिटके भी कुछ तो निशां रह जाएगा
बेहद खुबसूरत मतला...
बहुत अच्छी गज़ल ...
मैं तेरा अपना ही हूं, इस बात का शाहिद* यहां
तेरे कूचे में मेरा , खाली मकां रह जाएगा
kya gazab likhte hai aap!
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