साहेबान,
मुहब्बत भी ज़िन्दगी का एक खूबसूरत पहलू है.
पेश है इसी रंग की एक ग़ज़ल
अजायबघरों में सजाएं मुहब्बत
कहीं से चलो ढूंढ लाएं मुहब्बत
तराना दिलों का बनाएं मुहब्बत
चलो साथ में गुनगुनाएं मुहब्बत
मयस्सर नहीं है ये शै हर किसी को
कि महफ़ूज़ रखें, बचाएं मुहब्बत
मिले क़तरा-क़तरा चलो हम संजो लें
मिलाकर समंदर बनाएं मुहब्बत
मुहब्बत तिजारत बनाएं तो ऐसी
मुहब्बत के बदले दिलाएं मुहब्बत
तुम्ही ज़िक्र छेड़ो, तुम्हे याद होगा
हमें याद आए, सुनाएं मुहब्बत
हर इक दौर की ये ज़रूरत है शाहिद
विरासत चलो छोड़ जाएं मुहब्बत
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
47 comments:
तराना दिलों का बनाएं मुहब्बत
चलो साथ में गुनगुनाएं मुहब्बत
इस जज़्बे को अगर हर शख़्स महसूस कर गुनगुनाना शुरू कर दे तो दुनिया जन्नत बन जाए
बहुत ख़ूब!
मिले कतरा-कतरा चलो हम संजो लें
मिलाकर समंदर बनाएं मुहब्बत
बहुत उम्दा !
क्या बात है !
हर इक दौर की ये ज़रूरत है शाहिद
विरासत चलो छोड़ जाएं मुहब्बत
वाह !ख़ूबसूरत मक़ता हमेशा की तरह
अजायबघरों में सजाएं मुहब्बत
कहीं से चलो ढूंढ लाएं मुहब्बत
मयस्सर नहीं है ये शै हर किसी को
कि महफ़ूज़ रखें, बचाएं मुहब्बत..
बहुत खूबसूरत गज़ल ...
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है। बधाई!
अजायबघरों में सजाएं मुहब्बत
कहीं से चलो ढूंढ लाएं मुहब्बत
तराना दिलों का बनाएं मुहब्बत
चलो साथ में गुनगुनाएं मुहब्बत
मयस्सर नहीं है ये शै हर किसी को
कि महफ़ूज़ रखें, बचाएं मुहब्बत
मिले क़तरा-क़तरा चलो हम संजो लें
मिलाकर समंदर बनाएं मुहब्बत
बेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल है...
मयस्सर नहीं है ये शै हर किसी को
कि महफ़ूज़ रखें, बचाएं मुहब्बत
सही कहा जी बचाना ही होगा
सभी शेर दिल को छू गया...
लाजबाब.....
हर इक दौर की ये ज़रूरत है शाहिद
विरासत चलो छोड़ जाएं मुहब्बत
-बहुत खूब कहा!!!
मुहब्बत भी ज़िन्दगी का एक खूबसूरत पहलू है !
.........
या खुदा ,
मुहब्बत ही ज़िन्दगी की खूबसूरत पहलू है
हर रिश्ते में
मुहब्बत के बगैर सब फीका !
मयस्सर नहीं है ये शै हर किसी को
बड़ी मुश्किल से मिलती है ये ज़िन्दगी किसी को ....
बहुत खूबसूरत
बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है... बेहतरीन!!!
मयस्सर नहीं है ये शै हर किसी को
कि महफ़ूज़ रखें, बचाएं मुहब्बत
मिले क़तरा-क़तरा चलो हम संजो लें
मिलाकर समंदर बनाएं मुहब्बत
शाहिद भाई...जिंदाबाद...जिंदाबाद...कमाल के अशआर है आपकी इस ग़ज़ल में...हर एक अशआर कलेजे से लगा लेने के काबिल है...सुबह सुबह आपकी ग़ज़ल पढ़ कर दिल बाग़ बाग़ हो गया...दाद कबूल फरमाएं...
नीरज
अजायबघरों में सजाएं मुहब्बत
कहीं से चलो ढूंढ लाएं मुहब्बत
सच कहा सच्ची मुहब्बत तो अब अजायबघरों में रखने योग्य हो गई है .....
मयस्सर नहीं है ये शै हर किसी को
कि महफ़ूज़ रखें, बचाएं मुहब्बत
जी ...मिलती है ज़िन्दगी में मुहब्बत कभी कभी ....
मिले क़तरा-क़तरा चलो हम संजो लें
मिलाकर समंदर बनाएं मुहब्बत
दुआ है कि कम से कम ब्लॉग जगत में ये कतरा कतरा संजोने का काम चलता रहे .....
मुहब्बत तिजारत बनाएं तो ऐसी
मुहब्बत के बदले दिलाएं मुहब्बत
आमीन .....
हर इक दौर की ये ज़रूरत है शाहिद
विरासत चलो छोड़ जाएं मुहब्बत
बहुत खूब ....
ऐसी विरासत शायद ही किसी ने छोड़ी हो ....
दुआ है आपकी लेखनी यूँ ही मुहब्बत के पैगाम देती रहे .....
वाकई मोहब्बत ढूढने और बचाने की चीज़ हो गई है अब तो.
मिले क़तरा-क़तरा चलो हम संजो लें
मिलाकर समंदर बनाएं मुहब्बत
बहुत बहुत सुन्दर.
बहुत ही खूबसूरत गज़ल है.
मिले क़तरा-क़तरा चलो हम संजो लें
मिलाकर समंदर बनाएं मुहब्बत
मोहब्बत का इससे सुन्दर पैगाम और क्या होगा।
BADE MANOYOG SE AAPKEE GAZAL PADH
GAYAA HOON . " MOHABBAT " PAR AESE
KHOOBSOORAT AUR SAADGEE SE BHARE
SHER PADHNE KO BAHUT KAM MILTE
HAIN . UMDAA SHERON KE LIYE AAPKO
HAARDIK BADHAAEE . AESE SHER HEE
"SUKTI" BANTE HAIN .
मिले क़तरा-क़तरा चलो हम संजो लें
मिलाकर समंदर बनाएं मुहब्बत
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ..बधाई ।
वाह ! लाजबाव गजल है शाहिद भाई ।
हर शेर सादगी लिए हुए । आभार शाहिद जी ।
"है जान से प्यारा ये दर्दे मुहब्बत............गजल"
मुहब्बत तिजारत बनाएं तो ऐसी
मुहब्बत के बदले दिलाएं मुहब्बत
वाह!क्या बात कही! एक नया ख्याल मिला ..
....................
अजायबघरों में सजाएं मुहब्बत
कहीं से चलो ढूंढ लाएं मुहब्बत
-बहुत खूब !
मिले क़तरा-क़तरा, चलो हम संजो लें
मिलाकर समंदर बनाएं मुहब्बत
बिलकुल सही फरमाया शाहिद साहब ...
आपका ये पाकीज़ा पैगाम हर दिल तक पहुंचे
यही दुआ है हमारी भी ...
ग़ज़ल के सभी शेर एक-से-बढ़-कर-एक हैं ... वाह !
वाह शाहिद जी! लाजवाब शेर.........एक मुक्कमल ग़ज़ल.
तुम्ही ज़िक्र छेड़ो, तुम्हे याद होगा,
हमें याद आए, सुनाएं मुहब्बत।
बहुत ही बेहतरीन शे‘र।
वो आदमी ही क्या जिसके पास मुहब्बत का कोई अफसाना न हो।
ग़ज़ल गुनगुनाने लायक है।
हर एक शेर लाजवाब , बेहतरीन !
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना आज मंगलवार 18 -01 -2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/2011/01/402.html
खूबसूरत ग़ज़ल
मुहब्बत तिजारत बनायें तो ऐसी
मुहब्बत के बदले दिलाएं मुहब्बत '
बहुत सुन्दर शेर ...
उम्दा ग़ज़ल...
बहुत खूब Shaahid भाई ... इस मोहब्बत के पैगाम के क्या कहने .... बहुत ही लाजवाब है ...
मुहब्बत तिजारत बनाए तो ऐसी ... क्या बात कह दी है साहब ... आजकल जहां स्वार्थ का बोलबाला है ... वहां मुहब्बत के बदले मुहब्बत की मांग ... कमाल का शेर है .... और आखिर का शेर तो बेमिसाल है ...
बहुत दिनों बाद कुछ लिखा है आपने और कमाल का लिखा है ......
भाई साब प्रणाम !
अजायबघरों में सजाएं मुहब्बत
कहीं से चलो ढूंढ लाएं मुहब्बत
मयस्सर नहीं है ये शै हर किसी को
कि महफ़ूज़ रखें, बचाएं मुहब्बत.
बहुत खूबसूरत गज़ल .
शुक्रिया !
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
मुहब्बत मुहब्बत मुहब्बत मुहब्बत
बहरे-मुतक़ारिब सालिम पर बेहतरीन ग़ज़ल.
आपके लेखन का जवाब नहीं है शहिद जी.
अजायबघरों में सजाएं मुहब्बत
कहीं से चलो ढूंढ लाएं मुहब्बत
बेहतरीन, लाजवाब, बेहद खूबसूरत ग़ज़ल पढ़कर दिल खुश हो गया, हर एक शेर लाजवाब
मयस्सर नहीं है ये शै हर किसी को
कि महफ़ूज़ रखें, बचाएं मुहब्बत
बहुत ही सही ,कहा....मिल भी जाए तो उसे महफूज़ नहीं रख पाते लोग.
हर इक दौर की ये ज़रूरत है शाहिद
विरासत चलो छोड़ जाएं मुहब्बत
विरासत में छोड़ जाने की सोच ही, बचा लें,मुहब्बत ...बहुत ही खुशनुमा ग़ज़ल.
bas yahi kahungi....
wah wah wah
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल ! "मिले क़तरा-क़तरा चलो हम संजो लें
मिलाकर समंदर बनाएं मुहब्बत" बहुत ही प्यारा सन्देश...
मंजु
wah wah wah
bouth he aacha blog hai jii
Music Bol
Lyrics Mantra
achha hai mohabbat dhundne ka wichaar....Zara hame bhi address bata dijiyega........
हर इक दौर की ये ज़रूरत है शाहिद
विरासत चलो छोड़ जाएं मुहब्बत
lekin mohabbat chhod jaane ka vichaar, hum to sahamat nahi hai........
waise bahut khoobsoorat gazal.....
"मुहब्बत तिजारत बनाएं तो ऐसी
मुहब्बत के बदले दिलाएं मुहब्बत"
"मयस्सर नहीं है ये शै हर किसी को
कि महफ़ूज़ रखें, बचाएं मुहब्बत"
वाह मिर्ज़ा साहब..
क्या ग़ज़ल कही है आपने वल्लाह
हरेक शेर से, छलक रही है मुहब्बत..
इतनी ख़ूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए शुक्रिया मिर्ज़ा साहब, आभार !!
नमस्कार शाहिद जी,
वाह वा, बहुत अच्छा मतला कहा है,
अजायबघरों में सजाएं मुहब्बत
कहीं से चलो ढूंढ लाएं मुहब्बत
बेहद उम्दा मक्ता,
हर इक दौर की ये ज़रूरत है शाहिद
विरासत चलो छोड़ जाएं मुहब्बत
दाद कबूल फरमाएं
अजायबघरों में सजाएं मुहब्बत
कहीं से चलो ढूंढ लाएं मुहब्बत
मयस्सर नहीं है ये शै हर किसी को
कि महफ़ूज़ रखें, बचाएं मुहब्बत
मिले क़तरा-क़तरा चलो हम संजो लें
मिलाकर समंदर बनाएं मुहब्बत
वाह-वाह-वाह ,,, बहुत खूब
वाह शाहिद साहब क्या बात है
आप तो गजब का लिखते हैं
जितनी तारीफ़ करूँ कम है
बहुत बधाई
आभार
kuchh ham bhi kahkar jaayenge yaan se....muhabbat...muhabbat....muhabbat.....muhabbat.....!!
हर इक दौर की ये ज़रूरत है शाहिद
विरासत चलो छोड़ जाएं मुहब्बत
और अन्य खूबसूरत शेरों से सजी ये ग़ज़ल देर से पढने के लिये अफ़सोस है.
मिले क़तरा-क़तरा चलो हम संजो लें
मिलाकर समंदर बनाएं मुहब्बत
वाह,शाहिद जी,
बड़ी खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने !
हर शेर पर मेरी दाद कबूल करें !
शाहिद जी...!!!
मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया !!
आपकी किस शायरी की तारीफ करूँ...
नया साल हो,ईद हो या हो दीवाली..
आप सभी पर बराबर शिद्दत से लिखते हैं..
ख्वाहिश है मेरी......
कि आपका ये पैगाम-ऐ-मोहब्बत हर इंसान को पहुंचे...
"हर इक दौर की ये ज़रूरत है शाहिद
विरासत चलो छोड़ जाएं मुहब्बत !!"
"हमको कुदरत भी ये पैग़ाम दिए जाती है
जश्न मिल-जुल के मनाने का सबक लाती है
अब तो त्यौहार भी तन्हा नहीं आते शाहिद
साथ दीवाली भी अब ईद लिए आती है!!"
जय श्री कृष्ण...आपका लेखन वाकई काबिल-ए-तारीफ हैं..
मयस्सर नहीं है ये शै हर किसी को
कि महफ़ूज़ रखें, बचाएं मुहब्बत
behad achchi lagi.
Shahid ji mere blog par aane ka bahut bahut dhanyvaad.
तुम्ही ज़िक्र छेड़ो, तुम्हे याद होगा
हमें याद आए, सुनाएं मुहब्बत
हर इक दौर की ये ज़रूरत है शाहिद
विरासत चलो छोड़ जाएं मुहब्बत
behadd umda..wah.
बढ़िया ग़ज़ल शाहिद साब। ये बहर मुझे बड़ी पसंद है...
"मिले क़तरा-क़तरा चलो हम संजो लें
मिलाकर समंदर बनाएं मुहब्बत"
बेहतरीन शेर
अजायबघरों में सजाएं मुहब्बत
कहीं से चलो ढूंढ लाएं मुहब्बत
bahut khoob ,ishk ne hame kahi ka nahi chhoda ,phir bhi ishk ko hamne nahi chhoda .kuchh aesi hi wafadari hai .gantantra divas ki badhai aapko ,vande matram .
मयस्सर नहीं है ये शै हर किसी को
कि महफ़ूज़ रखें, बचाएं मुहब्बत
मिले क़तरा-क़तरा चलो हम संजो लें
मिलाकर समंदर बनाएं मुहब्बत
मुहब्बत पर इस से सुन्दर एहसास और क्या हो सकते हैं
हर इक दौर की ये ज़रूरत है शाहिद
विरासत चलो छोड़ जाएं मुहब्बत
वाह आज किस कदर नफरतों का बाजार गर्म है वहाँ ऐसा सुन्दर सार्थक सन्देश कितना मायने रखता है। लाजवाब गज़ल के लिये बधाई आपको।
क्या कमाल पेश किया है मुहब्बत के रुक्न पर साहिब...कि बन्दा २६ जनवरी कि पोस्ट स फिसल कर सीधा मुहब्बत भरे कमेन्ट बॉक्स में आ गया....बहुत देर से आने का नुक्सान तो होता है मगर पढने को एक साथ काफी कुछ मिल जाता है...
:)
आपको हैपी न्यू इयर कहें..हैप्पी रिपब्लिक डे..या कुछ और हैप्पी...
पर आपको पढ़कर हमेशा की तरह हैप्पी हो गए हम...
फिर पढने आये थे..
मुहब्बत तिजारत बनाएं तो ऐसी
मुहब्बत के बदले दिलाएं मुहब्बत..
दिल लूट लिया इस अनोखे शे'र ने...
मुहब्बत तिजारत बनाएं तो ऐसी
मुहब्बत के बदले दिलाएं मुहब्बत..क्या बात कह दी जनाब...
मुहब्बत के बदले दिलाएं मुहब्बत ..
काफी वक़्त बाद नेट पार आना हुआ...और इस शे'र ने एकदम से तरोताजा के दिया...
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