हज़रात,
कोई तम्हीद नहीं...
बस एक सादा सी ग़ज़ल हाज़िर है
यादों का जब वन देखा है
सांसों में चंदन देखा है
तुमने क्या देखा, तुम जानो
मैंने तो बस मन देखा है
पहले तुमको देखा, और फिर
दिल का पागलपन देखा है
तुममें खुद को देखा अकसर
जब देखा, दरपन देखा है
तुम चाहो तो रंग भर जाएं
मैंने इक स्वप्न देखा है
मेरे दिल में झांकने वाले
कहते हैं, बचपन देखा है
सूरज को देखा, तो खुद की
हिम्मत पर यौवन देखा है
प्रेम में भीगे कब से बैठे.
लेकिन अब सावन देखा है
प्यार से जिसने सींचा ’शाहिद’
उसका दिल उपवन देखा है
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
57 comments:
मन को खुश कर दिया आपकी गज़ल ने ..उपवन की तरह महकती हुई खूबसूरत गज़ल ..
बहुत उम्दा ग़ज़ल.. हर शेर जानदार !
क्या बात है ! लाजवाब !!
क्या बात है ! लाजवाब !!
प्रेम में भीगे कब से बैठे.
लेकिन अब सावन देखा है
... bahut hi khoobsurat khyaal
बहतरीन गजल.......... प्रत्येक शेअर लाजबाव । आभार शाहिद भाई !
" सितारा कहूँ क्यूँ ? चाँद है तू मेरा.........गजल "
तुमने क्या देखा, तुम जानो
मैंने तो बस मन देखा है
पहले तुमको देखा, और फिर
दिल का पागलपन देखा है
ख़ूबसूरत मतले से आग़ाज़ और दिल को छू लेने वाले इन अश’आर के साथ ग़ज़ल अपना सफ़र तय करती हुई जब
मेरे दिल में झांकने वाले
कहते हैं, बचपन देखा है
इस मासूम से शेर पर पहुंचती है तो क़ारी को रुकने और बार बार पढ़ने पर मजबूर कर देती है
सूरज को देखा, तो खुद की
हिम्मत पर यौवन देखा है
हौसले का शेर
उम्दा ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं
बहतरीन गजल.......... प्रत्येक शेअर लाजबाव । आभार शाहिद भाई !
" सितारा कहूँ क्यूँ ? चाँद है तू मेरा.........गजल "
वाह मिर्जा साहब वाह
हर शेर लाजवाब है
प्रेम के भीगे कब से बैठे
लेकिन अब सावन देखा है
वाह वाह वाह
वाह मिर्जा साहब वाह
हर शेर लाजवाब है
प्रेम के भीगे कब से बैठे
लेकिन अब सावन देखा है
वाह वाह वाह
तुमने क्या देखा, तुम जानो
मैंने तो बस मन देखा है
वाह वाह शहिद जी,बड़ी सादगी से बेहतरीन और बड़ी बात कह दी आपने.
आपका निम्न शेर दुबारा आपका ध्यान आकर्षित कर रहा है, पढियेगा.
तुम चाहो तो रंग भर जाएं
मैंने इक स्वप्न देखा है
बहुत उम्दा ग़ज़ल.
तुमने क्या देखा, तुम जानो
मैंने तो बस मन देखा है
आपकी की कलम की रवानगी को सलाम
वन....चन्दन.......मन....पागलपन......दर्पण.......स्वप्न.....बचपन......यौवन ......सावन...... उपवन.
आप तो ग़ज़ल में भी नज़्म कह जातें हैं.
तुमने क्या देखा, तुम जानो
मैंने तो बस मन देखा है
सबसे अहम चीज़ तो मन ही है. उसे ही देखना तो ज़रूरी होता है. बहुत सुन्दर ग़ज़ल.
तुम चाहो तो रंग भर जाएं
मैंने इक स्वप्न देखा है
मेरे दिल में झांकने वाले
कहते हैं, बचपन देखा है
Waise to sabhee ashaar ekse badhke ek hain.....ye masoomiyat bahut bha gayi!
"तुमने क्या देखा, तुम जानो
मैंने तो बस मन देखा है !!"
देखने वाले भी न जाने क्या-क्या देख लेते हैं
एक हम हैं कि बस दिल से ही दिल देख लेते हैं...
बहुत खूब....!!!
gazal ke harek shabd khoobsurat, main to sochti rahi kise khas kahoon ,har baat aham thi ,chahe wo sawan me bhigna ho ,bhitar ka man ho ,swapn me rang bharne ki baat ho ya bachpan aur yauvan ki jhalak ho,in sabhi bhavo ne milkar aasadharan bana diya aapki rachna .bahut hi shaandaar .
बेहद खूबसूरत ग़ज़ल... बेहतरीन!
वाह ,,, शाहिद भाई !
बहुत ही सादा अंदाज़ में
बहुत ही खूबसूरत अश`आर कह डाले है आपने
तुमने क्या देखा, तुम जानो
मैंने तो बस मन देखा है
और
मेरे दिल में झांकने वाले
कहते हैं, बचपन देखा है
इन दो शेरों पर तो मानो कुर्बान हो जाने का मन है जनाब !!
ग़ज़ल में सादगी ही ग़ज़ल की जान है
मुबारकबाद .
तुमने क्या देखा, तुम जानो
मैंने तो बस मन देखा है
मेरे दिल में झांकने वाले
कहते हैं, बचपन देखा है
प्यार से जिसने सींचा ’शाहिद’
उसका दिल उपवन देखा है
शाहिद भाई...बहुत दिनों बाद आपकी ग़ज़ल पढने को मिली...दिल बाग़ बाग़ हो गया...बहुत बेहतरीन खूबसूरत हसीन ग़ज़ल कही है आपने...दिली दाद कबूल करें...
नीरज
तुम चाहो तो रंग भर जाएं
मैंने इक स्वप्न देखा है
आमीन :)
बड़ी ख़ूबसूरत ग़ज़ल है
शाहिद भाई, आपका जवाब नहीं। बधाई।
---------
ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
तुमने क्या देखा, तुम जानो
मैंने तो बस मन देखा है
मेरे दिल में झांकने वाले
कहते हैं, बचपन देखा है
प्यार से जिसने सींचा ’शाहिद’
उसका दिल उपवन देखा है
शाहिद भाई साब .प्रणाम ! बहुत दिनों बाद आपकी ग़ज़ल पढने को मिली.बहुत बेहतरीन खूबसूरत हसीन ग़ज़ल कही है आपने.दिली दाद कबूल करें.!
shahid bhai , aaj to dil ko jala diya hai , kya kahun do -teen baar padh chuka hoon , tujhe dekha phir dil ka paagalpan dekha .. waah waah
sir salaam kabul kare...
बधाई
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मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
विजय
पहले तुमको देखा, और फिर
दिल का पागलपन देखा है
बहुत ही प्यारा शे'र लगा जी..
तुममें खुद को देखा अकसर
जब देखा, दरपन देखा है
वाह वाह....
साँसों में चन्दन देखा है...सही फरमाया...यादों के वन में पहुँचने के बाद सांस सांस चन्दन हो जाति है...
तुमने क्या देखा, तुम जानो
मैंने तो बस मन देखा है ..
बहुत खूब ... सरल दिल वाले सरल दिल को ही देखते हैं ...
बहुत ही सीधी, सच्ची और दिल में उतार जाने वाली ग़ज़ल है .... बेमिसाल है हर शेर ...
हमने इन लाइनों में बेहतरीन शायर देखा है । बहुत सीधा सरल अंदाज़ बहुत अच्छी गज़ल !
मेरे दिल में झांकने वाले
कहते हैं, बचपन देखा है
मासूम गज़ल.
बहुत प्यारी सरल प्यारी अभिव्यक्ति.
मेरे दिल में झांकने वाले
कहते हैं, बचपन देखा है
बहुत सुंदर भाव
बहुत ही खुबसुरत प्रस्तुति......
यादों का जब वन देखा है
सांसों में चंदन देखा है
तुमने क्या देखा, तुम जानो
मैंने तो बस मन देखा है
पहले तुमको देखा, और फिर
दिल का पागलपन देखा है
ये तीन शेर तो दिल ले गए शाहिद जी .....
इतने सीधे साढ़े शब्दों में वह कोमलता ,वह सादगी,वह खुशबू है जो दिल ले सके ....
आप तो हमें सिखाते सिखाते मझधार में ही छोड़ गए .....
मेरे दिल में झांकने वाले
कहते हैं, बचपन देखा है
बेमिसाल पंक्तियाँ..... सुंदर रचना
बहुत सुन्दर महकती हुई गज़ल..लाज़वाब
main phir se padhne aa gayi ,ek geet ki gungunati jaa rahi hoon is gazal ko ,kuchh line bhool rahi thi use hi yaad karne aa gayi ,vandana ke ghar gayi to wahan bhi hum dono aapki rachna par charcha kar rahe the ,jahan se utar nahi rahe shabd ek superhit gane ki tarah .laazwaab .pahle sochi chupke se padhkar chal doon ,magar tarif likhe bina nahi raha gaya .jab tak poori tarah kanthasth na ho aati rahoongi .
shahid ji
bahut dino baad aapki gazal padhne ko mili ...bahut sundar ..har sher lajwab
sundar rachna...
GAZAL KE SABHEE SHER BADE MANOYOG
SE PADH GAYAA HOON . ADHIKAANSH
SHER SAADGEE LIYE HUE HAIN .
URDU MEIN EK SHABD HAI - AAMAD
YANI BHAAV KAA APNE AAP AANAA .
AAPKEE GAZAL KO AAMAD KAHUN TO
KOEE ATISHYOKTI NAHIN HAI .
शाहिद जी कल आपको याद कर रही थी कि बहुत दिन से आपकी गज़ल नही पढी तो सोचा कि शायद मै ही ब्लाग देख नही पाई। मगर आपने लिखा ही देर बाद।
तुमने क्या देखा, तुम जानो
मैंने तो बस मन देखा है
सरल शब्दों मे सुन्दर बात। बहुत अच्छी लगी ये गज़ल भी। शुभकामनायें।
bahut umda gazal hai...
badhai swikare.
आपने जो जो देखा बड़ी बारीकी से देखा और उतनी ही बारीकी से प्रस्तुत किया है।
हमने तो अश्आर में तेरे
ग़ालिब जैसा फ़न देखा है।
मेरी टिप्पणी में सौती काफि़या प्रयोग किया गया है।
bahut khoob
पहले तुमको देखा, और फिर
दिल का पागलपन देखा है
तुममें खुद को देखा अकसर
जब देखा, दरपन देखा है ।
ये रूमानी गज़ल बहुत अच्छी लगी ।
बहुत अच्छी लगी ये गज़ल| धन्यवाद|
तुममें खुद को देखा अकसर
जब देखा, दरपन देखा है
अक्सर ऐसा ही होता है।
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल। मुबारकबाद।
मैं ज़रूरी काम में व्यस्त थी इसलिए पिछले कुछ महीनों से ब्लॉग पर नियमित रूप से नहीं आ सकी!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने ! उम्दा प्रस्तुती!
बहुत खूब !...... हरेक शेर लाज़वाब..
bahut khub kha aapne....ki aapne kebl man dekha hai....sir aapko bhut bhut badhai itni sundar rachna ke lie...kvi humare blog pe v padhare...
आपकी टिपण्णी और उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
आपके नए पोस्ट का इंतज़ार रहेगा!
very nice.......
तुमने क्या देखा, तुम जानो
मैंने तो बस मन देखा है
wah..bahut achche......
behtareen gazal...har sher lajwab.
होली की शुभकामनायें स्वीकार करें !!
Holee bahut,bahut mubarak ho!
बहुत बहुत सुन्दर. लाजवाब कर दिया आपने शाहिद जी.
आपको होली की रंगारंग शुभकामनाये!!
BAHUT HI KHOOBSOORAT LIKHA HAI AAPNE..HAM TAK PAHUCHANE KA SHUKRIYA
तुमने क्या देखा, तुम जानो
मैंने तो बस मन देखा है
kya baat hai ... bahut khoob
mere dil me jhankne vaale kahte hain ki bachpan dekha hai....bahut khoobsurat bemisal panktiyan.her line ko bar bar padhne ko man karta hai.bahut bahut behtreen ghazal.
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