हज़रात,
ईद-उल-फ़ितर की मुबारकबाद
ईद के सिलसिले में कही एक पुरानी ग़ज़ल आखर कलश
और नीचे दिए गए इस लिंक पर देख सकते हैं-
एक नज़र बस राह में उनको देखा और मना ली ईद
यहां हाज़िर है एक और ग़ज़ल:-
ईद मनाछोड़ हर शिकवा गिला, दिल को मिला, ईद मना।
भूल जा अपनी जफ़ा, मेरी ख़ता, ईद मना।
बुग़्ज़ को छोड़ दे, नफ़रत को भुला, ईद मना।
ये भी नेकी है, ये नेकी भी कमा, ईद मना।
हो सका जितना भी वो तूने किया, अच्छा है,
सोच मत, ये न हुआ, वो न हुआ, ईद मना।
इससे लेना है, उसे देना है, सब चलता है,
उलझनें जे़हन से सब दूर हटा, ईद मना।
ऊंचे महलों में सभी ख़ुश हों, ज़रूरी तो नहीं,
जो मक़ाम अपना है, वो देख ज़रा, ईद मना।
वक़्त तो सबका बदल जाता है इक दिन शाहिद,
शुक्र हर हाल में कर रब का अदा, ईद मना।
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
47 comments:
Nihayat khoobsoorat rachana!
Eid mubarak ho!
बहुत ख़ूब... आपको भी ईद मुबारक हो...
आपको भी ईद की मुबारकबाद.
समीर लाल
हो सका जितना भी वो तूने किया, अच्छा है,
सोच मत, ये न हुआ, वो न हुआ, ईद मना।
इससे लेना है, उसे देना है, सब चलता है,
उलझनें जे़हन से सब दूर हटा, ईद मना।
यही है ईद जब सारी फिक्र सारे दुख एक तरफ रख कर सबके साथ खुशियां मनाई जाती हैं ।
ईद मुबारक, शाहिद साहब ।
बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है.........आपको भी ईद की बहुत-बहुत मुबारकबाद!
"छोड़ हर शिकवा गिला...ईद मना"
बेहतरीन ख्याल ! आपको ईद मुबारक !
वो कौन सी जगह, जहाँ रब नहीं मौजूद,
याद कर उसे हर घड़ी, हर पल ईद मना.
ऊंचे महलों में सभी खुश हों, ज़रूरी तो नहीं,
जो मकाम अपना है, वो देख ज़रा, ईद मना।
... ईद मुबारक हो..
आपकी गजलें वक़्त की मांग के मुताबिक होती हैं .....
इस पाक मौके पे शिकवा- शिकायत को परे रख गले मिला जाये इससे नेक और क्या ख्याल हो सकते हैं ....
आपको ईद की मुबारकबाद .....!!
बहुत सुन्दर ...ईद मुबारक ...
छोड़ हर शिकवा गिला, दिल को मिला, ईद मना। सीधी बात सच्ची बात.
बहुत सुन्दर ग़ज़ल और प्रस्तुति है.
आपको भी ईद की मुबारकबाद.
-सुलभ
हो सका जितना भी वो तूने किया,अच्छा है,
सोच मत,ये न हुआ,वो न हुआ,ईद मना।
ऊंचे महलों में सभी खुश हों, ज़रूरी तो नहीं,
जो मकाम अपना है,वो देख ज़रा,ईद मना।
वाह शाहिद भाई वाह...इस ज़ज्बे के साथ ही सारे त्योंहार हमें मनाने चाहियें तभी उनका मज़ा है...ईद के मुले पे कही इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई..
नीरज
आपको एवं आपके परिवार को ईद की मुबारकबाद! बहुत बढ़िया पोस्ट!
ऊंचे महलों में सभी खुश हों, ज़रूरी तो नहीं,
जो मकाम अपना है, वो देख ज़रा, ईद मना।
वक्त तो सबका बदल जाता है इक दिन शाहिद,
शुक्र हर हाल में कर रब का अदा, ईद मना।
ये पंक्तियाँ कहने को तो सिर्फ दो शेर है..प़र इनमे समूची जिन्दगी समाई हुई है..हर हाल में जिसने ईद मनाना सीख लिया..उसने जिंदगी से दिल लगान सीख लिया..!
ईद का दिन तेरे बिन है फीका, आजा-आजा कि दिन है ख़ुशी का
हम अकेले और ये मेले भाई जान,,,ईद है और आपकी याद है
मिर्ज़ा साहब, आपको ईद की करोड़ों-करोड़ों मुबारकबाद !
अल्लाह ताल्लाह आपको हर ख़ुशी दे,
आपको हर मुकाम प़र कामयाबी मिले,
आप सदा मुस्कुराते रहें,
हमे गले लगाते रहें...और
ऐसे ही हम ईद मनाते रहें...
मैं, मैं ना रहूँ...ना आप आप
मंजिले मकसूद पे
हुसफ़र बन...यार की दीद ही
मेरी ईद हो...हम अल्लाह के
सबसे करीबी मुरीद हों
ईद मुबारक भाईजान !
आहा , आज तो बोलचाल के शब्दों में सुन्दर ग़ज़ल ..समझने में बहुत आसान ग़ज़ल पढने को मिली , ईद बहुत बहुत मुबारक हो , अपने भी बच्चे घर लौट रहे हैं बस अब ईद ही ईद है ।
बेहतरीन ग़ज़ल...ईद की बहुत बहुत मुबारकबाद|
Id mubarak ho
संवेदनशील गज़ल ..पहली चार पंक्तियाँ तो दिल की तह तक पहुंची ..एक बहुत ही खूबसूरत दिल की आवाज़.
ऊंचे महलों में सभी खुश हों, ज़रूरी तो नहीं,
जो मकाम अपना है, वो देख ज़रा, ईद मना।
वक्त तो सबका बदल जाता है इक दिन शाहिद,
शुक्र हर हाल में कर रब का अदा, ईद मना।
.........ईद-उल-फ़ितर की मुबारकबाद
वक्त तो सबका बदल जाता है इक दिन शाहिद,
शुक्र हर हाल में कर रब का अदा, ईद मना।
ऊंचे महलों में सभी खुश हों, ज़रूरी तो नहीं,
जो मकाम अपना है, वो देख ज़रा, ईद मना।
बेहतरीन ग़ज़ल अब ईद मना
आपको भी ईद की मुबारकबाद.
Nice post .
अल्लाह से दुआ है कि यह ईद ना केवल हिंदुस्तान में बल्कि पूरे आलम में चैन-अमन एवं खुशियां लेकर आए....... आमीन!
आपको ईद-उल-फ़ितर की बहुत बहुत मुबारकबाद। आपकी गज़ल के किस शेर की बात करूँ हर एक शेर लाजवाब है मेरी तो वहाँ तक सोच भी नही जाते। धन्यवाद।
वक्त तो सबका बदल जाता है इक दिन शाहिद,
शुक्र हर हाल में कर रब का अदा, ईद मना।
नायब ग़ज़ल का नायब शेर .....आपको ईद की बहुत बहुत मुबारकबाद !
काव्य तरंग पर कोई रचना आपकी प्रतीक्षा में है .....
ये नया ब्लॉग भी देखिएगा .....धन्यवाद
मैं अनुष्का .....नन्ही परी
हो सका जितना भी वो तूने किया, अच्छा है,
सोच मत, ये न हुआ, वो न हुआ, ईद मना।
वक्त तो सबका बदल जाता है इक दिन शाहिद,
शुक्र हर हाल में कर रब का अदा, ईद मना।
क्या बात है जनाब!! बहुत खूब!!
ईद मुबारक!!
वक्त तो सबका बदल जाता है इक दिन शाहिद,
शुक्र हर हाल में कर रब का अदा, ईद मना।
बहुत खूब. ईद मुबारक हो.
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हो सका जितना भी वो तूने किया, अच्छा है,
सोच मत, ये न हुआ, वो न हुआ, ईद मना।
वाह वाह, खूबसूरत !
सबको ईद मुबारक हो!
...
बहुत मौजूं और खूबसूरत ग़ज़ल कही ज़नाब,
हो सका जितना भी वो तूने किया, अच्छा है,
सोच मत, ये न हुआ, वो न हुआ, ईद मना।
ईद की बहुत बहुत बधाई आपको और सबको !
बहुत मौजूं और खूबसूरत ग़ज़ल कही ज़नाब,
हो सका जितना भी वो तूने किया, अच्छा है,
सोच मत, ये न हुआ, वो न हुआ, ईद मना।
ईद की बहुत बहुत बधाई आपको और सबको !
शाहिद भाई
ईद की दिली मुबारकबाद
इस पाक मौके पर आपकी ग़ज़ल पढ़ कर दिल बाग बाग हो गया...
वैसे तो सारे शेर बेहतरीन बन पड़े हैं पर यह दो शेर दिल लूट ले गए.
वक्त तो सबका बदल जाता है इक दिन शाहिद,
शुक्र हर हाल में कर रब का अदा, ईद मना।
Shahid sahab,
Ek behatreen rachna,
apko e-id ki mubarakbad...
आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ! भगवान श्री गणेश आपको एवं आपके परिवार को सुख-स्मृद्धि प्रदान करें !
मत्ले से मक्ते तक हर शेर खूबसूरत और उँचे महलों में तो ईद का आनंद लेने का रास्ता दिखा दिया आपने सभी को।
वक़्त तो सबका बदल जाता है इक दिन शाहिद,
शुक्र हर हाल में कर रब का अदा, ईद मना ..
ईद के मौके पर इससे नायाब ईदी और क्या हो सकती है शाहिद साहब ....
ग़ज़ब के शेर हैं सब .... लाजवाब ग़ज़ल है ...
हो सका जितना भी वो तूने किया, अच्छा है,
सोच मत, ये न हुआ, वो न हुआ, ईद मना।
शाहिद भाई साब
आदाब !
खूब सूरत शेर आप कि नज़र किया है ,
आदाब !
shahid bhai saab
aadab
is baar aap ko mubarak baad dene me deri ho gayi ye mbarak baad agli eid ke liye bhi maan lijeyega ''' advance '' me .
aadab !
सुन्दर रचना...
देर से ही सही..ईद की मुबारकबाद
खूबसूरत रचना ।
बस ईद तो ऐसे ही मनाई जा सकती है। उसका अर्थ यही है। गज़ल के रूप में ईद की मीठास जीवन में रस घोलती है। ईद की शुभकामनायें।
" जिस सिम्त नज़र डालो रोशन है उधर चांद, लगता है कि आंखों में आया उतर चांद...।"
बहुत खूब..
बेहतरीन गज़ल।
ऊंचे महलों में सभी ख़ुश हों, ज़रूरी तो नहीं,
जो मक़ाम अपना है, वो देख ज़रा, ईद मना।
..वाह!
वक़्त तो सबका बदल जाता है इक दिन शाहिद,
शुक्र हर हाल में कर रब का अदा, ईद मना।
aap ki har line me unchi aur gahri baat kahi gayi hai ,kash ye paigam har dilo tak pahunche aur kabool bhi kiya jaaye .sachchi id lagi aur dil se aapko mubarakbaad .kyo nahi aa pai ye khabar vandana se mil gayi hogi .
बेहद उम्दा क़ता !
बहुत ख़ूबसूरत हुब्बुलवतनी के जज़्बात की बेहतरीन अक्कासी
हो सका जितना भी वो तूने किया, अच्छा है,
सोच मत, ये न हुआ, वो न हुआ, ईद मना।
बिल्कुल सही है
वक़्त तो सबका बदल जाता है इक दिन शाहिद,
शुक्र हर हाल में कर रब का अदा, ईद मना।
जो इंसान इस यक़ीन के साथ ज़िन्दगी गुज़ारेगा हमेशा ख़ुश रहेगा
ख़ूबसूरत मक़ता ,हमेशा की तरह
der se hee sahee par Id Mubarak.aur ek ek sher paigam liye .......bahut bahut shukriya itnee mithas batne ke liye
bahot sunder.
आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
आपने लिखा....हमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें; ...इसलिए शनिवार 10/08/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!
आपको भी ईद मुबारक हो.
latest post नेताजी सुनिए !!!
latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!
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