लीजिए हज़रात...
एक साल का हो गया जज़्बात... और एक प्यारी सी गुड़िया ने विश भी इस अंदाज़ में कियाज़रा पहचानिए तो....
ये अनुष्का (रानी विशाल) है...
शुक्रिया अनुष्का... खुश रहो
जी हां...आज
यानी गांधी जयंती के अवसर पर
ठीक एक साल पहले शुरू हुआ था जज़्बात का सफ़र
बस यूं ही...कुछ तलाश में...शायद अपनी ही तलाश में आया...
और इतना कुछ पा गया...कि यक़ीन ही नहीं हो रहा है.
ये सब आप साहेबान की
मुहब्बत
इनायत
और हौसला अफ़ज़ाई की ज़िन्दा मिसाल है
उम्मीद है आपकी नज़रे-इनायत इसी तरह ज़ारी रहेंगी
एक बात और
आम तौर पर जज़्बात पर महीने में एक ग़ज़ल पोस्ट की जाती रही है...
इस बार सिर्फ़ 6 दिन के अंदर ये तीसरी पोस्ट आपके सामने है
ये दो पोस्ट भी देखिएगा...
अम्न की राह में
और
हिफ़ाज़त करेंगे हमअब
कोशिश रहेगी कि महीने में कम से कम दो पोस्ट आपकी खि़दमत में हाज़िर की जा सकें...
लीजिए पेश है जज़्बात के एक साल के सफ़र के मौके पर एक ताज़ा ग़ज़ल
मुश्किल ये दौर काट ज़रा इत्मिनान में
होती है कामयाबी नेहां इम्तहान में
कितनी बुलंदियों को छुओगे उड़ान में
मज़िल कोई बनी ही नहीं आसमान में
नफ़रत, एनाद, बुग़्ज़, तआस्सुब, अदावतें
ख़तरे कई तरह के है अम्नो-अमान में
इस रहगुज़र में ऐसे भी कुछ हमसफ़र मिले
पाया बहुत सुकून सफ़र की थकान में
शाहिद तलाश जिनकी थी वो ही न मिल सके
अपने बहुत मिले हैं मगर इस जहान में
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
(नफ़रत, एनाद, बुग़्ज़, तआस्सुब, अदावतें- सब एक ही कुनबे से हैं)
47 comments:
इस रहगुज़र में ऐसे भी कुछ हमसफ़र मिले
पाया बहुत सुकून सफ़र की थकान में
शाहिद तलाश जिनकी थी वो ही न मिल सके
अपने बहुत मिले हैं मगर इस जहान में
बहुत सुन्दर........शाहिद जी .आपको ब्लॉग की सालगिरह मुबारक हो..........
इस रहगुज़र में ऐसे भी कुछ हमसफ़र मिले
पाया बहुत सुकून सफ़र की थकान में
शाहिद तलाश जिनकी थी वो ही न मिल सके
अपने बहुत मिले हैं मगर इस जहान में
बहुत ख़ूब !
वाक़ई ब्लॉग की दुनिया ने कितने साथी अता किये हमें ,
ब्लॉग का एक साल पूरा होने की मुबारक बाद क़ुबूल कीजिये
जज़्बात की सालगिरह बहुत बहुत बहुत मुबारक हो ...शायरी का यह सुहाना हमेशा इसी तरह चलता रहे !
अनुष्का रानीविशाल
कितनी बुलंदियों को छुओगे उड़ान में
मज़िल कोई बनी ही नहीं आसमान में
इस रहगुज़र में ऐसे भी कुछ हमसफ़र मिले
पाया बहुत सुकून सफ़र की थकान में
वाह ! क्या कहा जाए हर एक शेर बहुत नायाब है इस बेशकीमती ग़ज़ल का बहुत गहरा मर्म है हर शेर में ....आभार
एक बार फिर इस वर्षगाँठ पर ढेरों बधाई और शुभकामनाएँ !!
बढ़िया ! मुबारक बाद !
कितनी बुलंदियों को छुओगे उड़ान में
मज़िल कोई बनी ही नहीं आसमान में
बहुत सुन्दर , आपको ब्लॉग की सालगिरह बहुत बहुत मुबारक हो .
मिलते रहते है हमको, नए फनकार रोजाना,
छानना बाकी है बहुत, अभी ब्लॉग-ए-दीवान में ..
मुबारक.. और लिखते रहिये ...
जज़्बात की सालगिरह की बहुत बहुत बधाई ...हमेशा यहाँ बहुत खूबसूरत गज़ल पढ़ने को मिली हैं ...आज की गज़ल भी बहुत खूब कही है ...
कितनी बुलंदियों को छुओगे उड़ान में
मज़िल कोई बनी ही नहीं आसमान में
नफ़रत, एनाद, बुग़्ज़, तआस्सुब, अदावतें
ख़तरे कई तरह के है अम्नो-अमान में.
बहुत बहुत शुक्रिया ..
ग़ज़ल देखने फिर आयेंगे...
अभी तो सारा वक़्त वीडियो देखने में ही झोंक दिया...कई बार देखा...पर दिल नहीं भरा...
बहुत प्यारा अंदाज...
जियो बेटा...
मुश्किल ये दौर काट ज़रा इत्मिनान में
होती है कामयाबी नेहां इम्तहान में
कितनी बुलंदियों को छुओगे उड़ान में
मज़िल कोई बनी ही नहीं आसमान में
बहुत उत्साहित कर देने वाले भावो से ओत-प्रोत गज़ल. बधाई.और बधाई एक वर्ष का सफर पूरा करने के लिए.
जज़्बात की सालगिरह बहुत बहुत बहुत मुबारक हो
कितनी बुलंदियों को छुओगे उड़ान में
मज़िल कोई बनी ही नहीं आसमान में
सच है. आसमान ने हमें अनगिनत बुलंदियां बख़्शीं हैं, उन्हें छूने की कोशिश हमें करनी है.
ब्लॉग की सालगिरह पर अनगिन शुभकामनाएं. आप इसी तरह कामयाब होते रहें, और हमें अपनी नायाब ग़ज़लों से मालामाल करते रहें.
मुबारक हो
शाहिद तलाश जिनकी थी वो ही न मिल सके
अपने बहुत मिले हैं मगर इस जहान में ..
शाहिद साहब ... गाँधी जयंती और शास्त्री जी का जनम दिन और आपके ब्लॉग का पहला जनम दिन ..... सब मुबारक ....
बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल है ... आपका लिखा हमेशा कुछ नया एहसास लिए होता है ....
ये शेर बहुत कमाल का लगा है ... जीवन की सच्चाई से जूझता हुवा ...
मुश्किल ये दौर काट ज़रा इत्मिनान में
होती है कामयाबी नेहां इम्तहान में
kamyabi kee raahen ujjwal rahen
शाहिद तलाश जिनकी थी वो ही न मिल सके
अपने बहुत मिले हैं मगर इस जहान में
साल गिरह के मुबारक मौक़े पर
ऐसी खूबसूरत ग़ज़ल
तोहफे में देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया .
मेरी जानिब से भी मुबारकबाद ...
कितनी बुलंदियों को छुओगे उड़ान में
मज़िल कोई बनी ही नहीं आसमान में
दुआ है आप यूँ ही आसमान की ऊंचाइयों को छूते रहे .....
और हर साल ये साल गिरह मनाते रहे .....बधाई ....!!
कितनी बुलंदियों को छुओगे उड़ान में
मज़िल कोई बनी ही नहीं आसमान में
बहुत खूब....
ब्लॉग की सालगिरह मुबारक हो...
इस रहगुज़र में ऐसे भी कुछ हमसफ़र मिले
पाया बहुत सुकून सफ़र की थकान में
शाहिद तलाश जिनकी थी वो ही न मिल सके
अपने बहुत मिले हैं मगर इस जहान में
खूबसूरत गज़लों का घर है ज़ज्बात ..इसकी सालगिरह बहुत बहुत मुबारक हो.दिन दुनी रात चौगनी उन्नति करे.
कितनी बुलंदियों को छुओगे उड़ान में
मज़िल कोई बनी ही नहीं आसमान में
नफ़रत, एनाद, बुग़्ज़, तआस्सुब, अदावतें
ख़तरे कई तरह के है अम्नो-अमान में
बेहद खूबसूरत गजल!!
यूं पूरी ग़ज़ल का मिजाज ही नफरत परस्तों के लिए एक हुंकार है। काश अलगाववादियों के पास अम्नोअमान का सलीका होता!
ब्लॉग की सालगिरह बहुत बहुत मुबारक हो! आपको हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
इस रहगुज़र में ऐसे भी कुछ हमसफ़र मिले
पाया बहुत सुकून सफ़र की थकान में...
वाह! बहुत खूब! सुन्दर और शानदार प्रस्तुती!
bahut bahut badhai is khoobsurat safar ke ek barsh poore karne par ,aapki rachna to har baar hi shaandaar hoti hai ,na bhulane wali .इस रहगुज़र में ऐसे भी कुछ हमसफ़र मिले
पाया बहुत सुकून सफ़र की थकान में
शाहिद तलाश जिनकी थी वो ही न मिल सके
कितनी बुलंदियों को छुओगे उड़ान में
मज़िल कोई बनी ही नहीं आसमान में
अपने बहुत मिले हैं मगर इस जहान में
सालगिरह की बहुत-बहुत बधाई! आगे के सफ़र के लिये शुभकामनायें।
खूबसूरत!
शाहिद साब मुबारक हो!
अच्छा लगा जानके के आप मेरठ से हैं.
आशीष
--
प्रायश्चित
शाहिद भाई देर हुई आने में हमको शुकर है फिर भी आये तो...:)) आ कर अनुष्का बिटिया के साथ सुर में सुर मिला कर तालियाँ बजा बजा कर आपके ब्लॉग के जनम दिन की बधाइयाँ गा रहे हैं...दुआ करते हैं के ये ब्लॉग सालों साल इसी तरह चलता रहे चलता रहे चलता ही रहे...अनवरत...
आपकी गज़ल पर क्या कहूँ...सुभानअल्लाह...आप जब भी लिखते हैं कलेजा निकाल लेते हैं...:))
नीरज
कितनी बुलंदियों को छुओगे उड़ान में
मज़िल कोई बनी ही नहीं आसमान में
बहुत बहुत मुबारक हो !
कितनी बुलंदियों को छुओगे उड़ान में
मज़िल कोई बनी ही नहीं आसमान में...
इर्ष्या पैदा करने की हद तक खूबसूरत शे'र....
कोई भी पढ़े तो आह करके कहे..
काश...
ये शे'र हमसे हुआ होता...
blog ki saalgirah mubaarak...
ek bahut hi khoob-surat gazal ke saath hi saath aapko jajbaat ka ek saal pura hone par aapko hardik badhai.
poonam
इस रहगुज़र में ऐसे भी कुछ हमसफ़र मिले
पाया बहुत सुकून सफ़र की थकान में
Dua hai,hamesha aisehi hamsafar milen!
Blogke saalgirah kee dheron shubhkamnayen!
सालगिरह की बहुत बहुत बधाई ...यहाँ हमेशा खूबसूरत गज़ल पढ़ने को मिली हैं ...
शाहिद तलाश जिनकी थी वो ही न मिल सके
अपने बहुत मिले हैं मगर इस जहान में
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल !
happy birth day dear '' zazbaat '' shahid bhai aap mubarak baaad kabul kijeyega ,
कितनी बुलंदियों को छुओगे उड़ान में
मज़िल कोई बनी ही नहीं आसमान में
har sher umda hai magar meri pasand ka aap ki nazar hai ,
shukariya
इस रहगुज़र में ऐसे भी कुछ हमसफ़र मिले
पाया बहुत सुकून सफ़र की थकान में
शाहिद तलाश जिनकी थी वो ही न मिल सके
अपने बहुत मिले हैं मगर इस जहान में
बढिया गज़ल ।
आसमान में मंजिलें नही होती कितना अच्छा है आप नई नई मंजिलें अपनी खुद की बनाये और लिखते रहें । हमें आपको पढने का आनंद देते रहें । साल पूरा करने पर अनेक मुबारकें । आपको जिसकी तलाश है वह भी मिल जाये ।
शाहिद भाई
सबसे पहले तो एक साल का ब्लॉग-सफ़र मुबारक......खुदा करें आपकी कलम यूँ ही चलती रहे
एक साल के अवसर पर आपकी यह ग़ज़ल पिछली ग़ज़लों की तरह ही दिल पर छा गयी.....
मुश्किल ये दौर काट ज़रा इत्मिनान में
होती है कामयाबी नेहां इम्तहान में
क्या मतला गढ़ा है, हुज़ूर........!
नफ़रत, एनाद, बुग़्ज़, तआस्सुब, अदावतें
ख़तरे कई तरह के है अम्नो-अमान में
नए लफ़्ज़ों में ढले इस शेर के क्या कहने........बहुत खूब.....वाह वाह !
मक्ता तक का सफ़र बहुत प्यारा है.......
शाहिद तलाश जिनकी थी वो ही न मिल सके
अपने बहुत मिले हैं मगर इस जहान में
इस रहगुज़र में ऐसे भी कुछ हमसफ़र मिले
पाया बहुत सुकून सफ़र की थकान में
..बहुत खूब।
आपके जज़्बात का कद्र करता हूँ।
'कितनी बुलंदियों को छुओगे उड़ान में
मज़िल कोई बनी ही नहीं आसमान में'
-बहुत उम्दा बात कही है.
बहुत अच्छी ग़ज़ल है.
-ब्लॉग की सालगिरह पर बहुत बहुत बधाई.
शुभकामनाएँ.
आपकी पोस्ट आये और मुझे पता न चले मेरे लिये तो शर्म की बात है और वो भी बधाई देने के वक्त पर्! शायद ब्लाग लिस्ट देखने मे भूल हो गयी।
आपको ब्लाग की सालगिरह पर बहुत बहुत बधाई। बहुत ऊँचा मुकाम पायें। ये तो खुशी की बात है कि एक माह मे दो पोस्ट्ज़ पढने को मिलेंगी। हमे तो बहुत कुछ सीखने को मिल जायेगा। एक बार फिर से बधाई कबूल करें। शुभकामनायें।
गज़ल के बारे मे तो कहना ही भूल गयी वैसे मेरे कहने से तो कहीँ ऊपर होती है आपकी गज़ल।
मुश्किल ये दौर काट ज़रा इत्मिनान में
होती है कामयाबी नेहां इम्तहान में
शाहिद तलाश जिनकी थी वो ही न मिल सके
अपने बहुत मिले हैं मगर इस जहान में
नफ़रत, एनाद, बुग़्ज़, तआस्सुब, अदावतें
ख़तरे कई तरह के है अम्नो-अमान में
तीनो लाजवाब। बेशक मुझे एनाद, बुग्ज़ का अर्थ नही मालूम मगर आपका भाव समझ आ गया। बहुत खूब। लाजवाब गज़ल। बधाई।
शाहिद जी एक बार फिर जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं .....!!
नफ़रत, एनाद, बुग़्ज़, तआस्सुब, अदावतें
ख़तरे कई तरह के है अम्नो-अमान में
भाई, मज़ा आ गया आपकी शायरी पढ कर. काफ़ी मेहनत करते है आप.
मुश्किल ये दौर काट ज़रा इत्मिनान में
होती है कामयाबी नेहां इम्तहान में
कितनी बुलंदियों को छुओगे उड़ान में
मज़िल कोई बनी ही नहीं आसमान में
आपकी ग़ज़ल का एक एक शेर कह रहा है की आप माहिरे फन हैं .
मत्ला और हुस्ने मत्ला कमाल का है.
आपने मेरे ब्लॉग पे मेरी ग़ज़ल पढ़ी , पसंद की, शुक्रिया.
कुँवर कुसुमेश
इस रहगुज़र में ऐसे भी कुछ हमसफ़र मिले
पाया बहुत सुकून सफ़र की थकान में
शाहिद तलाश जिनकी थी वो ही न मिल सके
अपने बहुत मिले हैं मगर इस जहान में...
Beautiful couplets !
.
देर से आने के लिए क्षमाप्रार्थी...
ब्लॉग की सालगिरह मुबारक हो.
भाईजान शाहिद मिर्ज़ा शाहिद जी
आदाब !
कितनी बार इस पोस्ट पर आया , आपके अश्'आर में इतना मगन हो जाता हूं कि बिना कुछ कहे ही लौटता रहा …
इससे पहले कि आज फिर आपके फ़न का ज़ादू पूरी तरह गिरफ़्त में ले…
~*~जज़्बात की पहली सालगिरह पर मुबारकबाद~*~
क़बूल फ़रमाएं !
… और ग़ज़ल का एक एक शे'र नगीना है , ख़ुद की ख़ुशी के लिए मतला दुहरा रहा हूं -
मुश्किल ये दौर काट ज़रा इत्मिनान में
होती है कामयाबी नेहां इम्तहान में
बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
कितनी खूबसूरत गज़ल !
बस वाह! वाह! वाह !
विजयादशमी की अनन्त शुभकामनाएं.
कितनी बुलंदियों को छुओगे उड़ान में
मज़िल कोई बनी ही नहीं आसमान में
वाह!
जी मुझे इस शेर के लिये दोबारा आना ही था जो पिछली बार छूट गया था,
बहुत ख़ूब!
पहली बार आप के ब्लॉग पर आई हूं |जज्बात की सालगिरह पर बधाई |
आशा
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