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Friday, February 14, 2025

प्यार की ख़ातिर

 एक ग़ज़ल

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क्या बनाया था ख़ुदा ने क्या हुए।

प्यार की ख़ातिर सभी पैदा हुए।।


ख़ूब क़िस्मत ने किया रद्दोबदल

हम कभी क़तरा कभी दरिया हुए।।


आप पर भी तो उठेंगी उंगलियां 

सोचिएगा हम अगर रुसवा हुए।।


बज़्म तन्हाई में यादों की सजी 

और कभी महफ़िल में हम तन्हा हुए।।


बज़्म की रौनक़ थे जो शाहिद कभी

आज वो गुमनाम सा चेहरा हुए।।


शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

 डायरी से इक ग़ज़ल

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ख़ुशी का कोई बहाना वो ढूंढता होगा।

ग़मों से मुझको भी खुद को उबारना होगा।।


नमी में आंखों की वो रोज़ भीगता होगा।

मुझे यक़ीन है पत्थर नहीं हुआ होगा।।


सिमट के रहने का फ़न सीखने से पहले तक

मेरी ही तरह वो कुछ-कुछ बिखर गया होगा।।


ऐ वक़्त, माज़ी के कुछ तो निशान रहने दे

कि ख़ुद में मुझको अभी तक वो देखता होगा।।


ये किरचें रोज़ यही इक सवाल करती हैं

कि मेरे दिल को अभी कितना टूटना होगा।।


फ़रेब ही सही फिर भी सुकून देता है

कि दूर जाके मुझे वो पुकारता होगा।।


यूं बेसबब कोई कब रास्ता बदलता है

यूंही तो तर्के-तआल्लुक नहीं किया होगा।।


ज़रा ये सोच कभी तू ऐ बुत खुदा के लिए

कोई उम्मीद से तुझको तराशता होगा।।


मिलेगा दर्द तो निखरेगी शायरी ’शाहिद’

ये मुझको तोड़ने वाला भी जानता होगा।।


शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

ये पौधा सूख जाएगा

 ज़रूरी है अना के परबतों पर गर्मजोशी भी

न पिघली बर्फ तो रिश्तों का दरिया सूख जाएगा।।

मुहब्बत ज़िंदा रखने को मुलाक़ातें ज़रूरी हैं

न देंगे खाद-पानी तो ये पौधा सूख जाएगा

        ( शाहिद मिर्ज़ा शाहिद)


काग़ज़ का गुल

 काग़ज़ का भी गुल महकाना पड़ता है।

बिल्कुल जादूगर बन जाना पड़ता है।


यार सियासत अपने बस का रोग नहीं 

आंखें छीन के ख़्वाब दिखाना पड़ता है।।


शाहिद मिर्ज़ा शाहिद 





(शाहिद मिर्ज़ा शाहिद)

Friday, September 17, 2021

रक्षाबंधन पर तीन मुक्तक

 


रंग राखी का

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कितना मज़बूत है विश्वास का धागा शाहिद

सूत्र ये कितनी दुआओं से भरा होता है

क़िस्सा मेवाड़ की रानी का बताता है यही

रंग राखी का न भगवा न हरा होता है

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बहन के जज़्बात

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लड़कपन के कई प्यारे से क़िस्से छोड़ आई हूं

लड़ाते थे जो भाई से, खिलोने छोड़ आई हूं

नसीहत- सस्कारों के सिवा बाबुल के आंगन में

कई अनमोल यादों के ख़ज़ाने छोड़ आई हूं

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भाई की भावना 

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मुझे घर की ज़रूरत ने भी कुछ उलझा के रखा है।

भुलक्कड़ सा है वैसे भी ये भाई, भूल मत जाना।।

तेरी अपनी नए घर में हैं जिम्मेदारियां लेकिन,

तकेगी राह राखी की, कलाई भूल मत जाना।।

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शाहिद मिर्ज़ा शाहिद